हाईकोर्ट ने मुकदमे दाखिल करने वालों से फोटो पहचान का शुल्क लेने पर लगाई रोक

लखनऊ, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने उच्च न्यायालय में मुकदमे दाखिल करने वाले वादकारियों के हित में, एक मामले में अहम अंतरिम आदेश दिए हैं। कोर्ट ने याचिकाएं दायर करने वालों से फोटो पहचान( फोटो आइडेंटिटीफिकेसन) के लिए बार एसोसियेसनों द्वारा 400 से 500 रुपए लिए जाने पर रोक लगा दी है। साथ ही हाईकोर्ट के रजिस्ट्री अनुभाग को निर्देश दिया है कि पब्लिक नोटरी से सत्यापित हलफनामे स्वीकार किए जाने चाहिए।

न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने यह आदेश मेसर्स राजधानी इंटर स्टेट ट्रांसपोर्ट कंपनी नई दिल्ली की याचिका पर दिया। याची ने मामले में उच्च न्यायलय आकर फोटो आइडेंटिटीफिकेसन करने का मुद्दा उठाया था। याची के अधिवक्ता ने पहले इस मामले में पूरक हलफनामा दाखिल करने को सुनवाई आगे बढ़ाने का आग्रह किया था क्योंकि, शपथकर्ता फोटो पहचान व हलफनामा सत्यापित करने लखनऊ नहीं आ सका था।

इस पर कोर्ट ने पूछा कि आखिर जहां शपथकर्ता रहता है, वहीं से नोटरी के जरिए हलफनामा सत्यापित क्यों नहीं करवा सका। इसपर याची के अधिवक्ता ने कहा कि सिर्फ इलाहाबाद हाईकोर्ट का नोटरी नोटरी अनुभाग ही उच्च न्यायालय के नियमों के तहत नियुक्त ओथकमिश्नरों से सत्यापित हलफनामे स्वीकार करता है।

अदालत ने कहा कि पहली नजर में वादकारियों से 400 से 500 रुपए फोटो पहचान के शुल्क के रूप लिए जाने की कानूनी मंजूरी नहीं है। कोर्ट ने कहा हालांकि, बार एसोसियेसनों को वकीलों के कल्याण के उपाय करने की छूट है लेकिन मुकदमे दाखिल करने को ऐसे कोई धनराशि नहीं ली जा सकती। कोर्ट ने अंतरिम आदेशों के साथ मुद्दे को निस्तारित कर दिया हालांकि,कहा कि याचिका गुण दोष के आधार पर चलती रहेगी।

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