लखनऊ , इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने बूचड़खानों एवं मीट की दुकानों के मामले में अहम फैसला देते हुए कहा कि राज्य सरकार अदालत को बताये कि वैध बूचड़खानों एवं मीट दुकानों को लाइसेंस क्यों नहीं दिया जा रहा तथा इस मामले में सरकार की क्या नीति है।
राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉक्टर लालता प्रसाद मिश्रा ने अदालत को बताया कि ज्यादातर बूचड़खाने गैरकानूनी ढंग चल रहे हैं। किसी के पास मानक तथा नियमकायदे का लाइसेंस नहीं है। सरकार लाइसेंसशुदा बूचडखानों पर कोई शिकंजा नहीं कस रही है । अवैध बूचड़खानों एवं मीट दुकानों को आम जनता के हित में बंद कराया जा रहा है। यह भी कहा गया कि अवैध बूचड़खाने तथा मीट दुकान बीमारी को बढ़ावा दे रहे हैं।
न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप शाही एवं न्यायमूर्ति संजय हरकौली की खंडपीठ ने सईद अहमद तथा अन्य की ओर से दायर याचिका पर आज यह आदेश दिए ।
दायर याचिका में कहा गया था कि याचीगणों ने शहर में चल रही गोश्त की दुकानों के लाइसेंस का नवीनीकरण किये जाने की मांग नगर निगम समेत राज्य सरकार से की थी। उन्होंने कहा गया कि 31 मार्च 2017 में गोश्त की दुकानों की लाइसेंस की अवधि पूरी हो गई है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि याचीगणों ने गोश्त दुकानों के नवीनीकरण की मांग की लेकिन कोई कारवाई नहीं की गई। कहा गया कि नवीनीकरण नहीं हो पाने की वजह से गोश्त की दुकानें नहीं चल पा रही हैं जिससे याचीगणों को परेशानी हो रही है। अदालत ने राज्य सरकार से कहा कि 19 अप्रैल को शपथपत्र दायर कर बताये कि इस मामले में क्या किया जा रहा है।