लखनऊ, उत्तर प्रदेश में यात्रा और पर्यटन, आतिथ्य क्षेत्र में शोध अथवा अध्ययन के लिए मान्यता प्राप्त यात्रा, होटल, संघों, चैम्बर ऑफ कामर्स, विश्वविद्यालयों, प्रबंध संस्थानों तथा गैर-सरकारी संगठनों को अधिकतम दस लाख रुपये की धनराशि वित्तीय सहायता के रूप में प्रदान की जायेगी।
अनुसंधान के विषय को उद्योग की प्रसांगिकता और जरूरतों के मुताबिक अंतिम रूप दिया जायेगा। वर्ष में ऐसे पांच ही अध्ययन स्वीकृत किये जायेंगे।
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने सोमवार को बताया कि उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति-2022 में यह व्यवस्था की गई है। इस नीति को 27 मार्च को लागू किया गया है। पंचवर्षीय नीति के तहत पर्यटन और हास्पिटेलटी इण्डस्ट्री से जुड़ी इकाइयों को बेहतर सुविधा प्रदान की जायेंगी। इसके लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुके हैं।
श्री सिंह ने बताया कि गैर-सरकारी संगठनों जैसे-वर्ल्ड वाइड फण्ड फॉर नेचर, कछुआ संरक्षण, हेरिटेज संरक्षण, वाइल्ड लाइफ तथा क्राफ्ट आदि को भी आतिथ्य उद्योग में शोध/अध्ययन के लिए शामिल किया गया है। मान्यता प्राप्त आतिथ्य संघ और पर्यटन, आतिथ्य तथा प्रबंधन के शिक्षण संस्थानों के माध्यम से किये गये शोध को वरीयता दी जायेगी।