झांसी, उत्तर प्रदेश के झांसी में हिन्दी साहित्य भारती की दो दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय केन्द्रीय कार्यकारिणी की बैठक का रविवार को भव्य दीक्षान्त समारोह संपन्न हुआ। इस बैठक के दौरान विद्वानों के विचारविमर्श के साथ हिंदी को राजभाषा की जगह राष्ट्रभाषा बनाये जाने का प्रस्ताव रखा गया।
यहां होटल द मारवलस में आयोजित दीक्षांत समारोह में केंद्र सरकार के रक्षा एवं पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट की मौजूदगी में सर्वसम्मित से हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाये जाने को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया। केंद्र सरकार से यह माँग की गई कि संविधान में संशोधन करते हुए हिन्दी को राजभाषा के स्थान पर राष्ट्रभाषा बनाया जाए। संस्था के अन्तरराष्ट्रीय प्रभारी प्रो. करुणाशंकर उपाध्याय ने यह प्रस्ताव रखा जिस पर कार्यकारिणी ने सर्वसम्मति से सहमति व्यक्त की। संस्था के पदाधिकारियों ने यह प्रतिज्ञा ली कि वे हिन्दी भाषा को उसका दर्जा दिलाने के लिए पूरी ताकत से प्रयास करते रहेंगे।
मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री अजय भट्ट ने कहा कि हिन्दी साहित्य भारती ने हिन्दी भाषा के लिए सराहनीय प्रयास किया है। हिन्दी की विभूतियों को एक मंच पर लाने का काम हुआ है और यह क्रम लगातार चलते रहना चाहिए। डॉ. रवीन्द्र शुक्ल ने एक अलख जगा दी है जो रुकने वाली नहीं है। कभी कभी हम हीनता की भावना से ग्रस्त हो जाते हैं। जो हिन्दी जानेगा धीरे धीरे संस्कृत जानेगा। जो बीड़ा आपने उठाया है यह रुकने वाला नहीं है। हिन्दी साहित्य भारती विद्वानों का संगठन है वह दिन दूर नहीं कि जब हिन्दी एक दिन गंगा की तरह विश्व में धारा बनकर बहेगी।
पदम् श्री विष्णु पंड्या ने अपने राष्ट्रप्रेम की भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा “ जब हम मरेंगे तो मां गंगा में बहते समय हमारी अस्थियां भी भारतमाता का जयघोष करेंगी। ” मंच पर मौजूद रानी लक्ष्मीबाई कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति ने बताया कि देश के तीनों कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा संयुक्त रूप से हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा देने के लिये मानव संसाधन मंत्री को ज्ञापन दिया।
इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में गुजरात साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विष्णु पंड्या, रानी लक्ष्मीबाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुशील चतुर्वेदी , हिन्दी साहित्य भारती मॉरीशस के अध्यक्ष डॉ. हेमराज सुन्दर, हिन्दी साहित्य भारती संयुक्त अरब अमीरात के अध्यक्ष इं. भूपेन्द्र कुमार और छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल डॉ. शेखर दत्त उपस्थित रहे। कार्यक्रम में हिन्दी साहित्य भारती के केन्द्रीय उपाध्यक्ष डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र, डॉ. नरेश मिश्र और डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय को उनकी साहित्यिक सेवाओं और उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व शिक्षा मंत्री और हिन्दी साहित्य भारती के अन्तरराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. रवीन्द्र शुक्ल ने की। कार्यक्रम का संचालन ख्यातिप्राप्त कवयित्री डॉ. कीर्ति काले ने किया।