होली से पहले इस एकादशी के दिन भूल कर भी न करें ये काम, होगी पुत्र को ये हानि
March 17, 2019
17 मार्च यानि आज आमलकी एकादशी मनाई जा रही है। इसे आंवला एकादशी के रूप में मनाते हैं। जिस तरह से शास्त्रों में नदियों में गंगा को पहला स्थान प्राप्त है ठीक उसी तरह से आवंले को भी पहला स्थान दिया गया है। आज के दिन पूरे नियम के साथ व्रत रखने से घर में सुख समृद्धि आती है, रोग दूर होते हैं और संतान का सुख प्राप्त होता है।
फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन होने वाला यह व्रत किसी पर्व से कम नहीं है। काशी में तो इस दिन हर तरफ रंग और गुलाल के साथ अथाह प्रेम बरसता है। यही वजह है कि इसे रंगभरनी एकादशी भी कहते हैं। हालांकि आमलकी को रंगभरनी का नाम दिए जाने के पीछे महादेव और माता पार्वती से जुड़ी एक कहानी है। वहीं राजस्थान के सीकर में इस दिन खाटू श्याम के दर्शनों के साथ ही खुशियों का मेला लगता है। इसके अलावा आमलकी यानी कि आंवले वाली एकादशी के पीछे एक और कथा भी है, आइए जानते हैं….
आमलकी एकादशी के बारे में कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने सृष्टि की रचना के लिए ब्रह्माजी और आंवले के वृक्ष को जन्म दिया था। इसी के चलते इसे आमलकी एकादशी कहते हैं। मान्यता है कि आमकली एकादशी व्रत अत्यंत श्रेष्ठ होता है। साथ ही जो भी व्यक्ति इस व्रत को करता है उसे एक हजार गौ दान का फल प्राप्त होता है।शादी नहीं फिर भी पूरे गांव का एक ससुराल, अजब है कहानीवहीं रंगभरनी एकादशी के बारे में कथा है कि गौरी से विवाह के बाद भोलेनाथ जब पहली बार अपनी प्रिय नगरी काशी आए तो उसी दिन को मां पार्वती के आगमन में यहां रंगभरनी एकादशी के रूप में मनाते हैं। कहा जाता है कि उस दिन मां पार्वती के स्वागत में पूरा नगर विविध रंगों से सजाया गया था। तब से यह परंपरा आज भी चली आ रही है। यहां होली से पहले पड़ने वाली एकादशी को रंगभरनी एकादशी के रूप में मनाते हैं। पूरी काशी को रंग-गुलाल से सजाया जाता है। बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार होता है। मां गौरी और शिव के स्वागत की जोर-शोर से तैयारियां की जाती हैं।
यदि आप रह सकें तो आज जल का सेवन न करें
यदि जल का सेवन करते हैं तो अन्न कदापि न ग्रहण करें। फलाहार रहें। बालक, वृद्ध और रोगी व्रत न रहें।
लहसुन, प्याज का सेवन ना करें। न ही घर में चावल बनाएं।
मांस और मदिरा का सेवन ना करें नहीं तो नर्क की यातनाएं झेलनी पड़ सकती हैं।
किसी भी प्रकार की हिंसा मत करें।
मन, वचन और कर्म से किसी को दुख न दें।
आज अपनी एक बुराई को त्याग करने का दृढ़ संकल्प लें।
यदि आप कोई भी नशा करते हों तो आज उसे पूर्णतया त्याग का संकल्प लें।
माता पिता को कष्ट मत दें।
किसी भी गरीब व्यक्ति को दरवाजे से भूखा ना जाने दें।
श्री हरि की निंदा ना सुनें। यदि कहीं पर हरि निंदा होती है तो वह स्थान छोड़ दें और वहां से उठ जाएं।