चंडीगढ़, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि किसानों के हितों और भावी पीढ़ी के लिए भूजल संरक्षण के उद्देश्य से शुरू की गई “मेरा पानी मेरी विरासत“ के तहत राज्य में भूजल रिचार्जिंग के लिए 1000 बोरवैल खोदे जाएंगे तथा इस योजना की शुरुआत रतिया, इस्माइलाबाद और गुहला खंडों से की जाएगी।
श्री खट्टर ने यह जानकारी यहां राज्य के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जे. पी. दलाल की मौजूदगी में दी। उन्होंने कहा कि एक बोरवेल पर लगभग 1.5 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है। इस योजना के तहत 90 प्रतिशत खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाएगा और किसानों को केवल 10 प्रतिशत राशि का भुगतान करना पड़ेगा और बोरवैल बनाने के बाद इसे किसानों को सौंप दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि धान-बाहुल्य क्षेत्रों में भूजल स्तर 81 मीटर से भी नीचे चला गया है जो 10 साल पहले तक 40 से 50 मीटर हुआ करता था।
उन्होंने कहा कि “मेरा पानी मेरी विरासत योजना“ को न केवल किसानों ने सराहा क्योंकि यह न केवल उनके हित में है बल्कि यह भावी पीढ़ियों के लिए भी लाभदायक है। औद्योगिक क्षेत्र के साथ-साथ कृषि भी राज्य की अर्थव्यवस्था का एक प्राथमिक क्षेत्र है। प्रदेश में लगभग 17 लाख किसान परिवारों की सहायता और आर्थिक विकास सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है और इसके लिए योजनाएं बनाई जा रही है। विपक्षी दलों ने अब तक किसानों को केवल राजनीतिक तौर पर इस्तेमाल करते हुए उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर किया है। लेकिन वह किसानों को अपना मित्र और भाई मानते हैं तथा किसान राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और सरकार की प्राथमिकता किसानों का हित और उनकी खुशहाली है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण की ‘‘मेरा पानी-मेरी विरासत योजना का शुरू में विरोध हुआ। विपक्ष समेत कुछ लोग इस पर राजनीति कर रहे हैं, लेकिन किसान इस योजना की गंभीरता को समझते हुए स्वेच्छा से आगे आ रहे हैं और अब तक 58,421 हैक्टेयर क्षेत्र में धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसलें उगाने के लिए लगभग 53,000 किसान अपना पंजीकरण करा चुके हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसलें उगाने के लिए 1,00,000 हैक्टेयर क्षेत्र का लक्ष्य रखा गया था। उन्होंने कहा कि किसान भी अब समझ गए हैं कि जमीन के साथ ही पानी की अपनी विरासत भावी पीढ़ी को देकर जाएं।
श्री खट्टर ने विपक्ष को मेरा पानी मेरी विरासत योजना का विरोध करने पर कटाक्ष करते हुए कहा कि रतिया, इस्माइलाबाद और गुहला खंड घग्गर नदी के निकट होने के कारण बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में आते हैं, इसलिए सरकार ने किसानों को कुछ छूट दी है। उन्होंने कहा कि किसान यदि इस योजना के तहत स्वयं को पंजीकृत करता है तो उनका प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का प्रीमियम भी सरकार द्वारा भरा जाएगा। इसके अलावा, राज्य सरकार किसानों को बागवानी अपनाने के लिए भी 30 हजार रुपये प्रति एकड़ अनुदान राशि देगी।
उन्होंने कहा कि बेहतर जल प्रबंधन के चलते राजस्थान की सीमा से सटे दक्षिण हरियाणा के नांगल चौधरी, सतनाली और लोहारू जैसे क्षेत्रों में हम ऐसी-ऐसी टेलों तक पानी पहुंचाने में सफल रहे हैं जहां गत 25-30 वर्षों से पानी नहीं पहुंचा था। उन्होंने कहा कि अब तक ऐसी 300 टेलों में से 293 टेलों में पानी पहुंचाया जा चुका है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पूरे नहरी तंत्र का जीर्णोद्धार तीन चरणों में किया जा रहा है। पश्चिमी-यमुना नहर के जीर्णोद्धार पर लगभग 2200 करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं और इसके दो चरणों का कार्य पूरा हो चुका है, जबकि वर्ष 2022 तक तीन चरणों का कार्य पूरा किया कर दिया जाएगा। इसी प्रकार, लखवार, किशाऊ और रेणुका बांधों से भी हरियाणा को 47 प्रतिशत पानी मिलेगा और इस प्रकार हरियाणा की पानी की क्षमता 17500 क्यूसिक से बढ़कर 23,500 क्यूसिक हो जाएगी और इस तरह प्रदेश को 6000 क्यूसिक अतिरिक्त पानी मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी प्रकार गन्ना उत्पादक किसानों को भी समृद्ध बनाने के लिए प्रदेश की 11 सहकारी चीनी मिलों और तीन निजी चीनी मिलों की पिराई क्षमता चरणबद्ध तरीके से बढ़ाई जा रही है। मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 2014 में सभी चीनी मिलों की पिराई क्षमता 24,800 टीसीडी थी, जो आने वाले वर्षों में बढ़कर 32,100 टीसीडी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में चीनी मिलों में चीनी रिकवरी 10 प्रतिशत हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि चीनी मिलों का बेहतर प्रबंधन हो और यह लाभ में चलें, इसके लिए तीन चीनी मिलों के प्रबन्ध निदेशक आऊटसोर्सिंग पर लगाए जाएंगे, जिन्हें इस क्षेत्र में अनुभव हो।