भोपाल, किसानों को जलवायु परिवर्तन के खतरों से समय पर निपटने एवं अच्छी पैदावार सुनिश्चित करने के मकसद से मध्यप्रदेश सरकार 1100 जलवायु-स्मार्ट गांव विकसित करेगी। प्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. राजेश राजौरा ने बताया, सरकार अगले छह साल की समयावधि में 1100 गांवों को जलवायु-स्मार्ट गांवों के रूप में विकसित करने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत राज्य के 11 कृषि जलवायु क्षेत्र में हरेक क्षेत्र से 100 गांवों को विकसित किया जाएगा तथा इस पर प्रति वर्ष तकरीबन 150 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
राजौरा ने बताया, यह काम राष्ट्रीय कृषि विकास योजना एवं स्थायी कृषि के लिए राष्ट्रीय मिशन (एनएमएसए) के तहत किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन गांवों में किसानों को कम अवधि में तैयार होने वाली फसलों के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके साथ-साथ इन गांवों में ऐसी बीजों का उपयोग किया जाएगा, जो सूखे जैसी हालत पर भी अच्छी पैदावर दे सकें। उन्होंने बताया, एकीकृत खेती पर फोकस दिया जाएगा, जिसमें परंपरागत खेती के अलावा पशुपालन, रेशम पालन एवं मत्सय पालन शामिल होंगे। इन गांवों में कृषि-वानिकी को भी अपनाया जाएगा।
इन क्षेत्रों में दुनिया में उपयोग की जाने वाली सर्वोत्तम तकनीक एवं विधि को प्रदेश में अपनाया जाएगा। राजौरा ने कहा कि कृषि-वानिकी प्राकृतिक संपदाओं को संरक्षित करने के साथ-साथ इनका बचाव भी करती है, क्योंकि यह जल प्रतिधारण करने में मदद करती है और मिट्टी के कटाव को रोकती है। उन्होंने बताया कि इस योजना में मिट्टी को उपजाउ बनाने के लिए भी जोर दिया जाएगा।राजौरा ने बताया कि एक फसली कृषि भूमि को दो फसली और दो फसली को तीन फसली क्षेत्र बनाने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। जीरो टिलेज तथा जैविक मल्चिंग को बढ़ावा दिया जाएगा।