नयी दिल्ली , कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में 13 प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से आज मुलाकात कर उनसे हाल के चुनाव में ईवीएम मशीनों में गड़बडीए राज्यपाल पद के दुरुपयोग तथा देश में असुरक्षा का माहौल उत्पन्न होने की शिकायत करते हुए इन मामलों में हस्तक्षेप करने की मांग की।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने देश की 11 ज्वलंत समस्याओं पर राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भी सौंपा। प्रतिनिधिमंडल में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी तथा शुभेंदु शेखर राय, मार्क्सवाद कम्युनिस्ट पार्टी के सीताराम येचुरी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी राजा, बहुजन समाज पार्टी के सतीश मिश्रा, समाजवादी पार्टी के धमेंद्र यादव तथा नीरज शेखर, कांग्रेस नेता सत्यव्रत चुतुर्वेदी, जनता दल यू के शरद यादव तथा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के तारिक अनवर सहित अन्य कई प्रमुख दलों के नेता शामिल थे।
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने राष्ट्रपति को दिए ज्ञापन की जानकारी देते हुए कांग्रेस मुख्यालय में आयेाजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि देश में कानून व्यवस्था सबसे बड़ा संकट बन गया है। चारों तरफ हिंसा का माहौल है। किसी को पेड़ से लटकाया जा रहा है औ संदेह के कारण पीटपीट कर हत्या की जा रही है। इस संबंध में हाल में राजस्थान के अलवर में गौरक्षा के नाम पर एक व्यक्ति की पीटपीट कर हत्या किए जाने का मामला उठाने के साथ ही इससे पहले दादरी में भी इसी तरह की घटना का भी जिक्र किया गया। झारखंड में तीन साल से लगातार इस तरह की वारदातें हो रही हैं। गुजरात में भी ऐसी घटनाएं हुई है।
उन्होंने कहा कि इन घटनाओं में शामिल लोगों का संबंध सत्ताधारी पार्टी से है और उनके हौंसले लगातार बढ रहे हैं इसलिए राष्ट्रपति से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की गयी है। इसी तरह से कश्मीर मामले की शिकायत भी राष्ट्रपति से की गयी है। उनका कहना था कि देश में एक तरह का संवैधानिक संकट पैदा हो गया है और लोगों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है। कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गयी है।