हैदराबाद, केंद्रीय व्यापार संघों (सीटीयू) और विभिन्न स्वतंत्र व्यापार संघों के संयुक्त आह्वान पर केंद्र सरकार की लोकविराेधी आर्थिक नीतियों और श्रमिक विरोधी श्रम नीतियों के खिलाफ बैंकों की सोमवार से शुरू हुई देशव्यापी हड़ताल में लगभग चार लाख बैंक कर्मचारी शामिल हुए।
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) ने भी बैंकिग क्षेत्र की मांगों को ध्यान में रखते हुए इस हड़ताल के समर्थन की घोषणा की है। एआईबीईए के महासचिव सी एच वेंकटचलम ने यहां जारी एक बयान में कहा कि हड़ताल में सार्वजनिक, निजी, विदेशी, सहकारी और क्षेत्रीय ग्रामीण सभी प्रकार के बैंकों के कर्मचारी शामिल हुए। विभिन्न राज्यों से आ रही रिपोर्टों के अनुसार हड़ताल सफल रही। कर्मचारी बढ़-चढ़ कर हड़ताल में शामिल रहे और विभिन्न जिलों और शहरों में रैली एवं प्रदर्शन कर रहे हैं।
सरकार के बैंकों के निजीकरण के फैसले से बैंक कर्मचारी विशेष रूप से नाखुश है। बैंकों के लाखों कर्मचारियों और अधिकारियों ने कठिन परीक्षाएं पास करके बैंक की नौकरी पायी है और बड़ी संख्या में तो युवा आईटी और निजी क्षेत्र की नौकरियां छोड़कर जॉब सुरक्षा के लिए बैंकों में नौकरी हासिल की है। बैंकों के निजीकरण के सरकार के फैसले से कर्मचारियों को गहरा धक्का लगा है और वे हतोत्साहित भी हुए हैं।
इसी तरह से नयी पेंशन योजना खत्म करने की मांग भी युवा कर्मचारियों की प्रमुख मांगों है। इसके अलावा नियमित बैंक नियुक्तियों की जगह बढ़ती संविदा कर्मचारियों की संख्या भी हड़ताल के प्रमुख मुद्दों में से एक है। हड़ताल के कारण सामान्य बैंक सेवाएं बाधित हुई हैं। कई राज्यों में बैंकों की सभी शाखाएं पूरी तरह से बंद हैं, हालांकि कुछ राज्यों में बैंक शाखाएं खुली हैं लेकिन कर्मचारियों के हड़ताल पर होने के कारण कामकाज बाधित हुआ है। यह हड़ताल मंगलवार को भी जारी रहेगी।
श्री वेंकटचलम ने कहा है कि बैंक यूनियन की मांग है कि बैंकों का निजीकरण बंद किया जाए और सरकार उन्हें मजबूत करे।
सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने कहा है कि उसने अपनी सभी शाखाओं और कार्यालयों में सामान्य कामकाज सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक प्रबंध किए हैं।
केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने बिजली ग्रिड का कामकाज सुचारु रखने के लिए राज्यों और विद्युत क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों को जरूरी निर्देश दिए हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ी यूनियन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) और उससे जुड़ी विभिन्न क्षेत्रों की यूनियनें भी हड़ताल के आह्वान में शामिल नहीं हैं।