लखनऊ, वैश्विक महामारी से बचाव के लिए देश में घोषित लॉकडाउन के बाद अलग अलग राज्यों फंसे श्रमिकों को उनके गृह जिला पहुंचाने के क्रम में गुरूवार को कुशीनगर जिला प्रशासन ने ईट-भट्ठों पर काम करने वाले छत्तीसगढ़ के 1756 श्रमिकों को पहले चरण में घर भेजा।
अपर जिलाधिकारी विंध्यवासिनी राय ने बताया कि ईट-भट्ठों के श्रमिकों को उनके घर भेजने का इंतजाम करने वाला कुशीनगर प्रदेश का पहला जिला है। कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए गोरखपुर से श्रमिक स्पेशल ट्रेन से दुर्ग के लिए रवाना किया गया ताकि कोई मजदूर इस बीमारी से सुरक्षित रहे। भेजने से पहले स्वास्थ्य टीम की ओर से सभी की थर्मल स्क्रीनिंग की गई।
उन्होने बताया कि सेवरही क्षेत्र के पिरोजहां गांव के ईट-भट्ठे पर कार्य करने वाले छत्तीसगढ़ के 52 श्रमिक अपने कुनबे के कुल 33 सदस्यों के साथ रवाना हो गए। इन्हें ईट-भट्ठा स्वामी ने अपने वाहन से गोरखपुर रेलवे जंक्शन भेजवाया। महिला, पुरुष और बच्चों को मिलाकर यह सभी लोग एक ही ईट-भट्ठे पर रहते थे।
अपरजिलाधिकारी ने बताया कि जिले में लगभग 300 ईट-भट्ठे संचालित हैं,जहां छत्तीसगढ़ और झारखंड के श्रमिक अभी भी ईट तैयार करने और उसकी ढुलाई का जोखिम भरा कार्य करते आ रहे हैं। जिला प्रशासन र्ने इंट-भट्ठों पर कार्यरत इन श्रमिकों का सर्वे कराया। सर्वे के पहले चरण में 1756 ऐसे श्रमिक मिले हैं, जो छत्तीसगढ़ से आकर यहां मजदूरी करते हैं।
जिला प्रशासन ने इन्हें बृहस्पतिवार को बस के जरिए गोरखपुर रेलवे जंक्शन और वहां से श्रमिक स्पेशल ट्रेन से छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले तक भेजा गया। यह ट्रेन सिर्फ कुशीनगर जिले के श्रमिकों को लेकर जा रही है।
श्री राय ने बताया कि जिले के बस से उन्हें गोरखपुर रेलवे स्टेशन तक भेजा जा रहा है। वहां से बीएसए की देखरेख में सभी को श्रमिक स्पेशल ट्रेन से छत्तीसगढ़ भेजा जाएगा।