नई दिल्ली, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी नेपाल की तीन दिन की राजकीय यात्रा पर जायेंगे जिस दौरान वह पशुपतिनाथ और राम जानकी ऐतिहासिक मंदिरों में जाने के अलावा राजनीतिक नेतृत्व के साथ बातचीत करेंगे। पिछले 18 सालों में यह किसी भारतीय राष्ट्राध्यक्ष की पहली नेपाल यात्रा है। राष्ट्रपति की यात्रा को राजनीतिक एवं कामकाजी स्तरों पर नेपाल के साथ भारत के सघन संवाद के विस्तार के रूप में देखा जा रहा है। नेपाल ने पिछले साल ही लोकतांत्रिक संविधान अंगीकृत किया था। राष्ट्रपति के प्रेस सचिव राजमणि ने कहा, राष्ट्रपति के नेपाल के लोगों और वहां के राजनीतिक नेताओं के साथ लंबे समय से संबंध रहे हैं और वह ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने नेपाल में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के विकास में रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री एवं विदेश मंत्री आदि के तौर पर भारत की ओर से अहम भूमिका निभायी है। ऐसी संभावना है कि काठमांडू में त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी मुखर्जी की अगवानी करेंगी। दोनों राष्ट्राध्यक्षों की औपचारिक बैठक का कार्यक्रम भंडारी के सरकारी निवास शीतल निवास में तय किया गया है। भंडारी मुखर्जी के सम्मान में रात्रिभोज देंगी।
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड भी उनके सम्मान में भोज देंगे। संयुक्त सचिव (उत्तर) सुधाकर दलेला ने मुखर्जी की यात्रा के बारे में जानकारी देते हुए कहा, भारत ऋण सुविधा से चल रही अपनी वर्तमान विकास, कनेक्टिविटी और आर्थिक परियोजनाओं एवं कई अन्य परियोजनाओं पर विशेष ध्यान दे रहा है। उन्होंने कहा, इन परियोजनाओं का समय से क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए निश्चित अंतराल पर उनकी समीक्षा की जा रही है। हम भूकंप पश्चात पुनर्निर्माण परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने की दिशा में कोशिशें भी कर रहे हैं। भारत ने इस संदर्भ में नेपाल को एक अरब डालर देने का वादा किया है। नेपाल के उपराष्ट्रपति नंद बहादुर पुन और प्रधानमंत्री भी प्रणब मुखर्जी से मिलेंगे। दलेला ने कहा कि ये नेता द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे और, मुझे पूरा विश्वास है कि क्षेत्रीय सहयोग का विषय वार्ता के दौरान उठेगा ही। वर्ष 1998 में तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन ने नेपाल की यात्रा की थी। मुखर्जी तीन नवंबर को काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर जायेंगे और उसके अगले दिन वह जनकपुर में रामजानकी मंदिर जायेंगे।
जनकपुर मधेसियों के आंदोलन का मुख्य स्थल रहा है। जनकपुर में मुखर्जी का नागरिक अभिनंदन होगा जहां वह स्थानीय लोगों से संवाद करेंगे। विदेश मंत्रालय ने मुखर्जी की मधेसी नेताओं के साथ मुलाकात की संभावना से इनकार नहीं है। मधेसी काफी हद तक भारतीय मूल के हैं। दलेला ने कहा, सरकारी कार्यक्रमों के अलावा राष्ट्रपति के लिए विभिन्न स्थानों पर नेताओं, सिविल सोसायटी के सदस्यों के साथ मिलने के कई मौके होंगे और मुझे विश्वास है कि मधेसी नेताओं से भी उनकी बातचीत होगी। तीन नवंबर को मुखर्जी मानद डिग्री प्रदान की जाएगी और काठमांडू में उनका नागरिक अभिनंदन होगा। वह नीति अनुसंधान प्रतिष्ठान नेपाल और इंडिया फाउंडेशन की संगोष्ठी को भी संबोधित करेंगे। सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति उसी दिन पोखरा जायेंगे जहां वह भारतीय सेना के पूर्व गोरखा सैनिकों से मिलेंगे।इस यात्रा के दौरान भारतीय पक्ष यह देखने पर बल देगा कि दोनों देशों के बीच हुई संधियां किस हद तक कार्यान्वित हुईं। दलेला ने कहा, हमने व्यापार, आर्थिक, कनेक्टिविटी, जनसंपर्क, पर्यटन में अपना सहयोग बढ़ाने के लिए कई नये समझौते किए हैं और हम इन संधियों एवं समझौतों को लागू करने की कोशिश कर रहे हैं। फिलहाल हमारा ध्यान इस बात पर है कि जिन संधियों पर हस्ताक्षर हुए हैं, उन्हें वाकई लागू किया जाए।