नई दिल्ली, नोटबंदी के बाद देश को कैशलेस सोसाइटी बनाने के लिए बैंक से लेकर पासपोर्ट तक सभी कामों के लिए आधारकार्ड जरूरी हो गया है। इस जरूरत को देखते हुए इसके पंजीकरण में तेजी देखने को मिल रही है। 18 साल से उपर की उम्र के 99 फीसद लोगों के पास इस समय आधार कार्ड है। 111 करोड़ लोगों ने खुद को विशिष्ट पहचान संख्या के लिए नामांकित कराया है। हाल ही में खबर आई थी कि सरकार ने बैंको पर दबाव डाला है कि वो व्यापारियों पर आधारकार्ड के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित करें।
आईटी मंत्री रवि शंकर प्रसाद का कहना है, हम जानते हैं कि आधार की शुरूआत पिछली सरकार ने है लेकिन उस समय ये सिर्फ एक डिजिटल पहचान भर थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के नेतृत्व में यह वित्तीय और भविष्य परिवर्तन में एक शक्तिशाली उपकरण बन गया है। मार्च और मई 2014 में आधार नामांकन तीन से चार लाख प्रतिदिन था और अक्टूबर साल 2016 में ये प्रतिदिन पांच से छह लाख रहा।
नोटबंदी के बाद आधार नामांकन और आधुनिकीकरण याचिका सात से आठ लाख हुई। इन आंकड़ों से उत्साहित रविशंकर प्रसास ने कहा, देश के 119 बैंक आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली से जुड़ गए हैं और लगभग 33.87 करोड़ का लेन-देन इसके जरिए किया जा रहा है। लोगों ने अक्सर गोपनीयता भंग करने की चिंता जताई है लेकिन आधार अधिनियम ने लोगों की गोपनीयता सुनिश्चित की है।