2 जी स्पेक्ट्रम मामले मे, वरिष्ठ विधि विशेषज्ञों, की अलग-अलग राय
December 21, 2017
नयी दिल्ली, 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला मामलों से पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और द्रमुक सांसद कनिमोई सहित सभी आरोपियों को बरी करने के विशेष अदालत के फैसले पर विधिक विशेषज्ञों की ओर से अलग अलग विचार व्यक्त किये गए। एक वर्ग ने जहां बरी किये जाने को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ करार दिया और कहा कि इससे राजनीतिक रूप से एक गंभीर स्थिति खड़ी होगी वहीं दूसरे वर्ग ने कहा कि एक ‘‘बुलबुला बनाया गया था’’ जो कि सबूत की कमी के कारण फूट गया।
पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी ने कहा कि वह फैसले को बिना पढ़े ‘‘अच्छा या खराब’’ नहीं कह सकते। उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि ‘‘यह कोई अंतिम फैसला’’ नहीं है और इसके खिलाफ उच्च अदालतों में अपील की जा सकती है। पूर्ववर्ती राजग कार्यकाल में शीर्ष विधिक अधिकारी रहे सोराबजी ने पीटीआई से कहा, ‘‘यह केवल एक विशेष अदालत का फैसला है जिसके खिलाफ अपील की जा सकती है। सीबीआई उच्च न्यायालय में अपील कर सकती है। मैंने फैसला पढ़ा नहीं है इसलिए यह नहीं कह सकता कि यह अच्छा है या खराब।’’
यद्यपि वरिष्ठ अधिवक्ताओं अजित कुमार सिन्हा और दुष्यंत दवे ने असफलता के लिए अभियोजन पर सवाल उठाया। उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश सिन्हा ने जहां फैसले को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ बताया, वहीं दवे ने कहा, ‘‘यह दिखाता है कि मामले की जांच में सही ढंग से नहीं की गई क्योंकि अभियोजन मामले को साबित करने में असफल रहा और ‘‘यह फैसला जांच एजेंसियों विशेष तौर पर सीबीआई जैसी प्रमुख एजेंसी पर गंभीर संदेह खड़ा करता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘राजनीतिक रूप से यह देश में एक गंभीर स्थिति उत्पन्न करता है। हमें इसे दीर्घकाल में राजनीतिक दायरे में देखना होगा।’’ सिन्हा और दवे से अलग रूख व्यक्त करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह और उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश आर एस सोढी ने कहा कि अभियोजन के पास अपना मामला साबित करने के लिए पर्याप्त सामग्री नहीं थी।
सोढ़ी ने कहा, ‘‘सबूत की कमी थी। यह हमारी न्यायपालिका की स्थिति बताता है। उनके पास इस मामले में सर्वश्रेष्ठ विशेष लोक अभियोजक थे। मामले में कुछ नहीं था। एक बुलबुला बनाया गया था जो अब फूट गया है।’’ वहीं सिंह ने कहा कि यदि कोई घोटाला था तो वह केवल पात्रता को लेकर था जो कि पहले आओ पहले पायो से बदल दी गई थी। उन्होंने कहा,‘‘यद्यपि अभियोजन के पास वह भी साबित करने के लिए पर्याप्त सामग्री नहीं थी और इसलिए इस मामले में सभी किसी भी सजा से बच गए।’’
नयी दिल्ली, 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला मामलों से पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा और द्रमुक सांसद कनिमोई सहित सभी आरोपियों को बरी करने के विशेष अदालत के फैसले पर विधिक विशेषज्ञों की ओर से अलग अलग विचार व्यक्त किये गए। एक वर्ग ने जहां बरी किये जाने को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ करार दिया और कहा कि इससे राजनीतिक रूप से एक गंभीर स्थिति खड़ी होगी वहीं दूसरे वर्ग ने कहा कि एक ‘‘बुलबुला बनाया गया था’’ जो कि सबूत की कमी के कारण फूट गया।
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पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी ने कहा कि वह फैसले को बिना पढ़े ‘‘अच्छा या खराब’’ नहीं कह सकते। उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि ‘‘यह कोई अंतिम फैसला’’ नहीं है और इसके खिलाफ उच्च अदालतों में अपील की जा सकती है। पूर्ववर्ती राजग कार्यकाल में शीर्ष विधिक अधिकारी रहे सोराबजी ने पीटीआई से कहा, ‘‘यह केवल एक विशेष अदालत का फैसला है जिसके खिलाफ अपील की जा सकती है। सीबीआई उच्च न्यायालय में अपील कर सकती है। मैंने फैसला पढ़ा नहीं है इसलिए यह नहीं कह सकता कि यह अच्छा है या खराब।’’
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यद्यपि वरिष्ठ अधिवक्ताओं अजित कुमार सिन्हा और दुष्यंत दवे ने असफलता के लिए अभियोजन पर सवाल उठाया। उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश सिन्हा ने जहां फैसले को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ बताया, वहीं दवे ने कहा, ‘‘यह दिखाता है कि मामले की जांच में सही ढंग से नहीं की गई क्योंकि अभियोजन मामले को साबित करने में असफल रहा और ‘‘यह फैसला जांच एजेंसियों विशेष तौर पर सीबीआई जैसी प्रमुख एजेंसी पर गंभीर संदेह खड़ा करता है।’’
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उन्होंने कहा, ‘‘राजनीतिक रूप से यह देश में एक गंभीर स्थिति उत्पन्न करता है। हमें इसे दीर्घकाल में राजनीतिक दायरे में देखना होगा।’’ सिन्हा और दवे से अलग रूख व्यक्त करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह और उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश आर एस सोढी ने कहा कि अभियोजन के पास अपना मामला साबित करने के लिए पर्याप्त सामग्री नहीं थी।
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सोढ़ी ने कहा, ‘‘सबूत की कमी थी। यह हमारी न्यायपालिका की स्थिति बताता है। उनके पास इस मामले में सर्वश्रेष्ठ विशेष लोक अभियोजक थे। मामले में कुछ नहीं था। एक बुलबुला बनाया गया था जो अब फूट गया है।’’ वहीं सिंह ने कहा कि यदि कोई घोटाला था तो वह केवल पात्रता को लेकर था जो कि पहले आओ पहले पायो से बदल दी गई थी। उन्होंने कहा,‘‘यद्यपि अभियोजन के पास वह भी साबित करने के लिए पर्याप्त सामग्री नहीं थी और इसलिए इस मामले में सभी किसी भी सजा से बच गए।’’
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