नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में अपने तीसरे कार्यकाल के लिए 20 नवम्बर को अपने मंत्रिमंडल के साथ शपथ ग्रहण करेंगे। नीतीश कुमार को महागठबंधन के विधायक दल का नेता चुन लिया गया जिससे उनके मुख्यमंत्री बनने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। उन्होंने राज्यपाल रामनाथ कोविंद से मुलाकात करने के बाद राजभवन के बाहर संवाददाताओं से कहा कि वह मुख्यमंत्री के तौर पर 20 नवम्बर को दोपहर दो बजे यहां गांधी मैदान में शपथ ग्रहण करेंगे। नीतीश कुमार ने राज्यपाल के साथ 45 मिनट की बैठक के बाद राजभवन से बाहर निकलते हुए कहा कि महागठबंधन की तीनों पार्टियां जदयू, राजद और कांग्रेस उनके नयी कैबिनेट का हिस्सा होंगी। उन्होंने कहा कि उनके साथ शपथ लेने के लिए मंत्रियों की अधिकतम सीमा 36 निर्धारित की गई है।
इससे पहले महागठबंधन की बैठक में महागठबंधन के विधायक दल का नेता चुन लिया गया और उन्होंने बाद में सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए राज्यपाल से मुलाकात की। राजद और जदयू के बीच मिलनसारिता उस समय दिखी जब राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने नीतीश कुमार का नाम गठबंधन के विधायक दल के नेता के तौर पर प्रस्तावित किया जिसका समर्थन सी पी जोशी ने किया। राजद विधायक दल की शुक्रवार आयोजित एक बैठक में महागठबंधन के विधायक दल के नेता के तौर पर कुमार के नाम पर मंजूरी की मुहर लगा दी गई थी। राजद के नवनिर्वाचित विधायकों की शनिवार दोपहर एक बजे फिर से राबड़ी देवी के आवास पर बैठक हुई और उसके बाद वे विधान परिषद एनेक्सी में गठबंधन विधायक दल की बैठक के लिए रवाना हुए। चुनाव के बाद किंगमेकर की भूमिका में उभरे लालू प्रसाद ने राजद विधायक दल के नेता के नाम की घोषणा नहीं की, इसे लेकर यह अटकलें तेज हो गई कि वह अपने छोटे पुत्र तेजस्वी यादव को इस पर नामित कर सकते हैं ताकि वह उनकी विरासत संभाल सकें। राज्यपाल से मुलाकात करने के लिए कुमार के साथ लालू प्रसाद, जदयू अध्यक्ष शरद यादव, कांग्रेस महासचिव सी पी जोशी, जदयू महासचिव के सी त्यागी और जदयू, राजद और कांग्रेस के बिहार प्रदेश अध्यक्ष क्रमश: वशिष्ठ नारायण सिंह, रामचंद्र पुर्वे और अशोक चौधरी भी गए।
नीतीश कुमार ने अपने सात बिंदु दृष्टि की बात की जिसमें छात्रों के लिए चार लाख रुपये कर्जा , युवाओं को नौकरी खोजने के लिए आठ महीने तक प्रति महीने एक हजार रुपये भत्ता तथा कॉलेजों एवं विश्वविद्यालय में मुफ्त वाईफाई सुविधा शामिल है।