नई दिल्ली, वर्ष 2011 की गर्मियों में भारत और पाकिस्तान की सेना के बीच एलओसी पर सर्जिकल स्ट्राइक की तर्ज पर एक ऑपरेशन में 13 जवान मारे गए थे, जबकि 5 के सिर काटे गए थे। पाकिस्तान भारत के दो सैनिकों के सिर अपने साथ ले गया था जबकि भारतीय सैनिक ट्राफियों के तौर तीन पाकिस्तानी सैनिकों के सिर अपने साथ लाए थे। इस कार्रवाई को ‘जैसे को तैसा’ अभियान के तहत किया गया था।
एक अंग्रेजी अखबार ने दावा किया गया है कि इसे ‘ऑपरेशन जिंजर’ नाम दिया गया था। इस ऑपरेशन के आधिकारिक दस्तावेज, वीडियो और हासिल करने वाले इस अखबार ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि कुपवाड़ा की 28 डिवीजन के चीफ और इस ऑपरेशन के कर्ता-धर्ता रहे रिटायर्ड मेजर जनरल एस. के. चक्रवर्ती ने भी इसकी पुष्टि कर दी है।
30 जुलाई 2011 की दोपहर में राजपूत और कुमाऊं रेजिमेंट के सैनिकों पर पाकिस्तानी बॉर्डर एक्शन टीम (बीएटी) ने जब हमला किया, उस वक्त 19 राजपूत को 20 कुमाऊं से बदला जाना था। हमले के बाद हवलदार जयपाल सिंह अधिकारी और लांस नायक देवेंद्र सिंह का सिर पाकिस्तानी अपने साथ ले गए थे। भारत ने भी इसके लिए बदला लेने की योजना बनाई और इसके लिए ‘ऑपरेशन जिंजर’ प्लान किया था जो भारतीय सेना की सबसे खौफनाक कार्रवाई में से एक है। सीमा पार हमला करने से पहले 7 बार रेकी की गई थी और लक्ष्य निर्धारित किए गए जिसके बाद 30 जुलाई 2011 को सेना ने ऑपरेशन जिंजर शुरू किया। ये ऑपरेशन ईद के ठीक एक दिन पहले शुरू किया गया था जिसमें भारतीय सैनिक पाकिस्तान के तीन सैनिकों का सिर काटकर अपने साथ लाए थे। हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि सर्जिकल स्ट्राइक और सैन्य ऑपरेशन में काफी अंतर होता है और इस तरह के ऑपरेशनों को अतीत में सेना ने कई बार एलओसी पार कर अंजाम दिया है।