सुप्रीम कोर्ट ने समान नागरिक संहिता लागू कराने की मांग वाली याचिका पर सुनने से ही मना कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कैसे संसद को कोड लागू करने का आदेश जारी कर सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) लागू कराने की मांग वाली याचिका पर सुनने करने से ही मना कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कैसे संसद को कोड लागू करने का आदेश जारी कर सकता है. कानून बनाना सरकार का काम है.सुप्रीम कोर्ट ने यह याचिका खारिज करते हुए कहा कि अगर किसी को किसी नियम से दिक्कत है तो समुदाय का ही कोई व्यक्ति सामने क्यों नहीं आ रहा है. कोर्ट ने कहा कि समान नागरिक संहिता के बारे में कानून की स्थिति पहले ही स्पष्ट है. पहले कोर्ट में भेदभाव की शिकायत लेकर आएं इसके बाद हम इस पर सुनवाई करेंगे.
देश में समान नागरिक संहिता लागू कराने की मांग वाली जनहित याचिका बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने दाखिल की थी. उन्होंने कहा था कि संविधान कहता है कि देश में सब धर्म बराबर हैं. लेकिन शादी, तलाक और उत्तराधिकार को लेकर धर्मों में अलग-अलग नियम हैं. ऐसे में संविधान का पालन करने के लिए यह संहिता लागू करने के आदेश जारी किए जाएं. सुप्रीम कोर्ट ने यह याचिका खारिज करते हुए कहा कि अगर किसी को किसी नियम से दिक्कत है तो समुदाय का ही कोई व्यक्ति सामने क्यों नहीं आ रहा है. कोर्ट ने कहा कि समान नागरिक संहिता के बारे में कानून की स्थिति पहले ही स्पष्ट है. पहले कोर्ट में भेदभाव की शिकायत लेकर आएं इसके बाद हम इस पर सुनवाई करेंगे.
देश में समान नागरिक संहिता लागू कराने की मांग वाली जनहित याचिका बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने दाखिल की थी. उन्होंने कहा था कि संविधान कहता है कि देश में सब धर्म बराबर हैं. लेकिन शादी, तलाक और उत्तराधिकार को लेकर धर्मों में अलग-अलग नियम हैं. ऐसे में संविधान का पालन करने के लिए यह संहिता लागू करने के आदेश जारी किए जाएं.