लखनऊ, केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 2024 से पहले उत्तर प्रदेश की सड़कों को अमेरिका से भी अच्छा बनाने का दावा करते हुए शनिवार को उप्र के लिए आठ हजार करोड़ रुपये की सड़क परियोजनाओं की घोषणा की।
इंडियन रोड कांग्रेस के 81वें अधिवेशन के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए श्री गडकरी ने कहा कि 2024 से पहले उप्र को पांच लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात दी जाएगी।
नितिन गडकरी ने कहा कि फिलहाल आज आज आठ हजार करोड़ रुपये की परियोजनाएं दी जा रही हैं। इसमें शाहाबाद-हरदोर्ह बाईपास, शाहजहांपुर से शाहाबाद बाईपास, मुरादाबाद-ठाकुरद्वारा- काशीपुर बाईपास, गाजीपुर-बलिया बाईपास के अलावा 13 आरओबी के लिए कुल 8 हजार करोड़ रुपये स्वीकृत किये जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि ये तो केवल शुरुआत भर है, पूरी फिल्म अभी बाकी है। अच्छी सड़कों के निर्माण के लिए सरकार के पास पैसों की कोई कमी नहीं है।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के किसी भी दिशा से प्रवेश करने पर फोर लेन सड़क से उस इलाक़े को जोड़ने का दावा करते हुए तकनीकी विशेषज्ञों से भी अपील कि वे ख़ुद को पश्चिमी देशों के तकनीकी कौशल के मोहपाश से बाहर लायें और लकीर के फ़क़ीर बन कर ना सोचें।
सीएम योगी ने शनिवार को यहाँ आयोजित भारतीय सड़क कांग्रेस (आईआरसी 2022) के 81वें अधिवेशन का शुभारंभ करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में विगत साढ़े पांच साल में रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव हुए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में आज आप जहां से भी में प्रवेश करेंगे आपको फोर लेन की सड़कें मिलेंगी।
सीएम योगी ने कहा कि 8 से 11 अक्टूबर तक आयोजित हो रहे इस अधिवेशन में सड़क निर्माण से जुड़ीं राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के 2500 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। यह दुनिया भर में प्रचलित तकनीकी कौशल को जानने का सुनहरा अवसर है। इस अवसर पर केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी बतौर मुख्य अतिथि और परिवहन राज्य मंत्री जनरल वी के सिंह भी शामिल हुए। उत्तर प्रदेश पांचवीं बार आईआरसी की मेजबानी कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने अधिवेशन में आये रोड तकनीकी विशेषज्ञों को संबोधित करते हुए कहा, “हमारा समाज भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने वाला है, मगर तकनीक की बात आते ही अक्सर हम दूसरे देशों की ओर देखने लगते हैं। हमें इसपर मंथन करना चाहिए। हमारे तकनीकी विशेषज्ञ कभी कभी लकीर के फकीर बने रहते हैं। हमें इससे उभर कर नये सिरे से सोचने और नयी परिस्थिति के अनुसार अपने आप को ढालने के लिए तैयार होना होगा।”
मुख्यमंत्री योगी ने आजादी के अमृत काल में उत्तर प्रदेश को 81वें अधिवेशन के लिए चुने जाने के लिए आभार प्रकट करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में नितिन गडकरी जी ने जिस मजबूती और आत्मविश्वास के साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास पर फोकस किया वो आज एक मॉडल के रूप में देखा जाता है।
उन्होंने कहा, “विगत साढ़े आठ साल में देश रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में जिस प्रकार से आगे बढ़ा हैं, उसी से प्रेरणा लेकर हमने उत्तर प्रदेश में काम शुरू किया। हमने ये महसूस किया कि 25 करोड़ जनता की आय में कई गुना वृद्धि करनी है तो हमें इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देना ही होगा। उसी आधार पर हमने अपने कार्यक्रमों को आगे बढ़ाया। इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए हमने इंटरस्टेट कनेक्टिविटी पर सबसे ज्यादा फोकस किया।”
मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि आज औद्योगिक निवेश के लिए ये आवश्यक है कि न केवल बेहतर कानून व्यवस्था प्रदान की जाए बल्कि प्रशासनिक मशीनरी समय पर निर्णय लेते हुए ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ की गतिविधि को भी आगे बढाए। इसके साथ ही इन्फ्रास्ट्रक्चर पर फोकस करते हुए विश्वस्तरीय एक्सप्रेस वे के जाल बिछाने का भी कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर किसी भी अर्थव्यवस्था की रीढ़ होती है। अर्थव्यवस्था को अगर बूस्टअप करना है तो अच्छा इन्फ्रास्ट्रक्चर उसकी पहली शर्त होती है।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार कोरोना के आगे ना रुकी ना झुकी। योगी ने कहा, “मुझे ये बताने में प्रसन्नता हो रही है कि सरकार ने कोरोना महामारी के काल में भी अपने दो पिछड़े क्षेत्र पूर्वांचल और बुंदेलखंड को वर्ल्डक्लास एक्सप्रेस वे के साथ जोड़ने का कार्य किया है। हम कोरोना के सामने रुके नहीं और झुके भी नहीं। इसके अलावा दिल्ली मेरठ 12 लेन एक्सप्रेस वे को ना सिर्फ बनाया बल्कि राष्ट्र को समर्पित भी किया। इसके साथ ही आज यूपी एफडीआर तकनीक को सबसे सफलतापूर्वक लागू करने वाला राज्य है। हमारी ग्रामीण सड़कें इसी तकनीक से बन रही हैं। इससे हम एक तिहाई कम लागत में ज्यादा टिकाऊ सड़कें बना रहे हैं।”
मुख्यमंत्री ने सड़क सुरक्षा के मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि गलत इंजीनियरिंग के कारण हर साल बहुत से लोगों की जान चली जाती है। कोरोना जैसी महामारी के दौरान उत्तर प्रदेश में लगभग 23,600 मौतें हुई हैं, लेकिन अगर सड़क दुर्घटनाओं की बात करें तो हर साल 20 हजार मौतें हो रही हैं। उन्होंने कहा, “ये मौतें हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती हैं। मैं चाहता हूं कि अगले तीन दिन तक चलने वाले इंडियन रोड कांग्रेस के इस अधिवेशन में आप सभी तकनीकी विशेषज्ञ इस बात पर मंथन करें कि कैसे टेक्नोलॉजी का उपयोग करके हम रोड एक्सिडेंट को कम कर सकते हैं।”
राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह ने कहा कि पूरे देश के अंदर अच्छी सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। उन्होंने कहा, “हम टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल अधिक करें। जिससे लागत कम आए और शानदार सड़के बनें।”