चेन्नई, जब कोई मौत को करीब से देखने के अनुभव से गुजर चुका हो तो उसके लिये तिहरे शतक का दबाव इतना ज्यादा नहीं होगा, शांत प्रवृति के करुण नायर ने टेस्ट क्रिकेट इतिहास में तिहरा शतक जड़ने वाला दूसरा भारतीय बल्लेबाज बनने के बाद यही शब्द कहे। इंग्लैंड के खिलाफ पांचवें और अंतिम क्रिकेट टेस्ट में करुण की नाबाद 303 रन की पारी ने उन्हें गैरी सोबर्स और बॉब सिम्पसन के साथ ला खड़ा किया है जिन्होंने अपने पहले ही शतक को तिहरे शतक में तब्दील किया। करुण ने इस पारी के बारे में बात करते हुए साल के शुरू में केरल में हुई नाव की घटना का जिक्र किया, जिसमें वह बाल-बाल बचे थे जबकि वह तैरना नहीं जानते थे।
करुण ने आधिकारिक प्रसारणकर्ता से कहा, ‘मैं नहीं जानता था कि कैसे तैरा जाये। वहां मौजूद लोगों ने मुझे बचाया और मैं भाग्यशाली रहा कि मैं ठीक ठाक रहा करुण मूल रूप से केरल के हैं, वह पूजा करने के उत्सव में भाग ले रहे थे, तभी उनकी नाव पम्पा नदी में उलट गयी। भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ चौथे दिन सात विकेट पर 759 रन का स्कोर बनाकर 282 रन की बढ़त हासिल कर ली। करुण ने कहा, ‘मैंने अपनी जिंदगी में जो पारियां खेली हैं, उनमें यह सर्वश्रेष्ठ है। क्रीज पर ऐसे कई हालात बने जब मुझे अलग अलग तरीके से (लोकेश) राहुल, (रविंचद्रन) अश्विन और (रविंद्र जडेजा) जड्डू के साथ खेलना था। मुझे उनका शुक्रिया करना होगा कि उन्होंने मेरा सहयोग किया।’ कर्नाटक के इस युवा ने कहा, ‘पहला शतक हमेशा अहम होता है और मुझे लगता है कि जब मैंने पहला शतक बनाया तो मैंने कोई दबाव महसूस नहीं किया। मैं इसके बाद अपने शाट खेल रहा था।’