नई दिल्ली, पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रमों को हमेशा से शक की नजरों से देखा जाता रहा है। हाल ही में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने 1984 में परमाणु बना लिया था। लेकिन अब सीआइए ने जो रिपोर्ट जारी की है उसके मुताबिक भारतीय वायु सेना पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों को 1984 में ही बर्बाद कर सकती थी।
सीआइए रिपोर्ट के मुताबिक 1984 में भारत के पास मिग-29(मिग-29 की खरीद होनी थी) के रूप में बड़ी ताकत थी, जिसका मुकाबला पाकिस्तान नहीं कर सकता था। पाक के पास मौजूद एफ-16 विमानों की तुलना में मिग-29 की मारक क्षमता जबरदस्त थी। भारतीय वायुसेना पलक झपकते ही पाकिस्तान की वायुसीमा पर अधिकार कर पाक के परमाणु ठिकानों को कब्जे में ले सकती थी। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 1984 में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी की हत्या के बाद एक गोपनीय आकलन किया गया। सीआइए के आकलन के मुताबिक अगर पाकिस्तान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर भारत हमला करता तो पाकिस्तान को ट्रैक पर आने में सालों साल लग जाते है।
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों की सुरक्षा अपर्याप्त थी। भारतीय वायुसेना की तेज मारक क्षमता को पाकिस्तान के लिए झेल पाना नामुमकिन था। पाकिस्तान के कहुटा एनरिचमेंट प्लांट और पिंसटेक न्यू लेबोरेट्री तक भारत महज 30 मिनट के अंदर पहुंच सकता था। रिपोर्ट का कहना है कि भारतीय वायुसेना के पास पाकिस्तान की तुलना में बेहतर संसाधन थे। इसके अलावा आइएएफ के पास प्रशिक्षित और पेशेवर सैनिकों की क्षमता ज्यादा थी। पाकिस्तान के पास जो भी क्षमता थी उसके बूते वो भारत का मुकाबला नहीं कर सकता था। सीआइए के मुताबिक अगर पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों पर भारत हमला करता तो वो मिग-23 और जगुआर विमानों का इस्तेमाल करता। वर्ष 1984 में नवंबर से लेकर फरवरी के बीच पाकिस्तान के न्यूक्लियर कांप्लेक्स पर हमला कर सकता था। इसके पीछे वजह ये बतायी गई कि उन दिनों कम बारिश होने की वजह से ठिकानों की पहचान आसानी से की जा सकती थी।