लखनऊ , अयोध्या में 6 दिसम्बर 1992 को विवादित ढांचा गिराये जाने के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ,मुरली मनाहर जोशी ,उमा भारती कल्याण सिंह समेत सभी आरोपियों को बरी किया गया।
अयोध्या में 6 दिसम्बर 1992 को विवादित ढांचा गिराये जाने के मामले में सीबीआई ने 49 लोगों को आरोपी बनाया गया था जिसमें अशोक सिंघल,बाल ठाकरे और राजमाता सिंधिया समेत 17 की सुनवाई के दौरान मौत हो गई ।
अब ये मुकदमा लालकृष्णा आडवाणी,मुरली मनोहर जोशी,कल्याण सिंह ,उमा भारती,विनय कटियार,साध्वी रितंभरा,नृत्य गोपाल दास,राम विलास वेदांती,चंपत राय,महंत धर्मदास,सतीश प्रधान,पवन पांडेय,लल्लू सिंह,प्रकाश वर्मा,विजय बहादुर सिंह,संतोष दूबे,गांधी यादव,रामजी गुप्ता,ब्रज भूषण शरण सिंह ,कमलेश्वर त्रिपाठी,रामचन्द्र,जय भवान गोयल,ओम प्रकाश पांडेय,अमर नाथ गोयल,जयभान सिंह पवैया,साक्षी महाराज,विनय कुमार राय,नवीन भाई शुक्ला,आर एन श्रीवास्तव आचार्य धर्मेन्द्र ,सुधीर कक्कड़ और धर्मेन्द्र सिंह गुर्जर पर चल रहा था ।
आज कोर्ट में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश सुरेन्द्र कुमार यादव ने कहा कि सबूत के अभाव में सभी को बरी किया जाता है । इस मामले में किसी भी तरह के षडयंत्र के सबूत भी नहीं मिले हैं । उन्होंने विवादित ढांचा गिराये जाने में षडयंत्र किये जाने की बात को सिरे से नकार दिया ।
छह दिसम्बर 1992 को गिराये जाने के बाद 28 साल बाद आये फैसले में विशेष जज ने कहा कि अज्ञात लोगों ने विवादित ढांचा गिराया जिसमें आरोपी बनाये गये लोगों का कोई लेना देना नहीं था और न कोई सम्बन्ध।
उन्होंने कहा कि किसी भी आरोपी पर कोई आरोप साबित नहीं होते हैं ।
विशेष अदालत में 32 में कुल 26 आरोपी मौजूद थे जबकि श्री आडवाणी ,उमा भारती समेत छह लोग नहीं आ सके थे ।
विशेष जज ने कहा कि आरोपियों के विरोध में जो आडियो टेप पेश किये गये ,उनसे छेड़छाड़ की गयी थी लिहाजा उसे सबूत नहीं माना जा सकता ।