नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात में शिवसेना के एक नेता की हत्या के तीन दोषियों को सुनायी गयी उम्रकैद की सजा बरकरार रखी है। शिवसेना नेता के छोटे भाई ने अल्पसंख्यक समुदाय की एक महिला से विवाह किया था। न्यायमूर्ति पीसी घोष और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की एक पीठ ने कहा कि हत्या के हथियार तेजधार वाले चाकू की बरामदगी से सभी संदेहों से परे उनके वध की पुष्टि हुई है और उच्च न्यायालय के फैसले में किसी दखल की आवश्यकता नहीं है।
पीठ ने कहा, यह तथ्य है कि आरोपियों की पहचान हो गयी है और आरोपी नं. एक से बरामद साक्ष्य से इसमें कोई संदेह नहीं होता कि सभी याचिकाकर्ताओं ने मृतक को रास्ते से हटाने के एक ही मकसद से हत्या को अंजाम दिया था। साथ ही पीठ ने कहा, मौजूदा अर्जी सुनवाई योग्य नहीं है और हमें उच्च न्यायालय के फैसले में दखल का कोई कारण नजर नहीं आया इसलिए यह अर्जी खारिज की जाती है।
चार जुलाई 2004 को पांच लोग शिवसेना के तालुका अध्यक्ष रमेशभाई प्रजापति के घर मंे जबरन घुसे गये। घटना के वक्त रमेशभाई पत्नी और बच्चों के साथ सो रहे थे। आरोपियों ने उनकी गर्दन पर तेजधार चाकू से हमला किया जिसके चलते उन्हें गहरी चोट आयी थी। घटना की गवाह प्रजापति की पत्नी थीं क्योंकि चीख पुकार सुनकर उनकी नींद खुल गयी थी और उन्होंने घटनास्थल से भागते लोगों को देखा था।