गुजरात सरकार के सवर्ण जातियों को आरक्षण देने के निर्णय से सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय की गई 50 प्रतिशत की आरक्षण सीमा का उल्लंघन होगा। हालांकि इस मुद्दे पर राज्य सरकार ने कहा कि वह इस मामले में कानूनी रूप से लड़ने के लिए तैयार है। गुजरात में 49 फीसदी आरक्षण पहले से ही लागू है।
गुजरात में27 फीसदी पिछड़ा, 14 फीसदी एससी और 7 फीसदी एसटी के लिए आरक्षण है । पिछड़े सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने से गुजरात में
59 फीसदी कुल आरक्षण हो जाएगा ।
1992 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी भी राज्य में आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता।2013 और 2009 में राजस्थान के ऐसे विधेयक को सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है। 69 फीसदी आरक्षण लागू है तमिलनाडु में साल 1989 से। तमिलनाडु में आरक्षण का यह प्रावधान 9वीं अनुसूची में शामिल है। नौंवी अनुसूची में उन अधिनियमों को शामिल किया जाता है जिनकी वैधानिकता को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है।
गुजरात में27 फीसदी पिछड़ा, 14 फीसदी एससी और 7 फीसदी एसटी के लिए आरक्षण है । पिछड़े सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने से गुजरात में
59 फीसदी कुल आरक्षण हो जाएगा ।
1992 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी भी राज्य में आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता।2013 और 2009 में राजस्थान के ऐसे विधेयक को सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है। 69 फीसदी आरक्षण लागू है तमिलनाडु में साल 1989 से। तमिलनाडु में आरक्षण का यह प्रावधान 9वीं अनुसूची में शामिल है। नौंवी अनुसूची में उन अधिनियमों को शामिल किया जाता है जिनकी वैधानिकता को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है।