भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने नेताओं को सलाह दी है कि 60 साल की उम्र पार करते ही उन्हें राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए। शाह ने जनसंघ के संस्थापकों में रहे नानाजी देशमुख के विचारों का सहारा लेते हुए कहा कि 60 पार वाले नेताओं को सियासत छोड़कर समाजसेवा का क्षेत्र अपना लेना चाहिए। सद्गुरु सेवा संघ ट्रस्ट के जानकी कुंड नेत्र चिकित्सालय की दूसरी यूनिट के लोकार्पण अवसर पर चित्रकूट मे आयोजित समारोह में शाह ने कहा कि नानाजी राष्ट्रपति के पद तक पहुंचने का सामर्थ्य रखते थे, लेकिन उन्होंने 60 साल की उम्र पार करते ही यह कहते हुए राजनीति से संन्यास की घोषणा कर दी थी कि वे समाजसेवा को समय देंगे।
भाजपा में सक्रिय राजनीति कर रहे शीर्ष नेताओं के साथ ही केंद्र सरकार के मंत्रियों में भी 60 पार के लोगों की भरमार है। शाह के इस बयान को भाजपा में हाशिए पर डाल दिए गए आडवाणी खेमे के हमले के जवाब में देखा जा रहा है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह अभी खुद 51 वर्ष के हैं। बयान के मायने निकालने वाले तो यहां तक कह रहे हैं कि कहीं शाह के निशाने पर पीएम मोदी तो नहीं हैं। 65 वर्षीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नजदीकी अमित शाह के इस बयान के कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। हालांकि शाह ने बाद में सफाई देते हुए कहा है कि मेरे बयान की गलत तरीके से व्याख्या की जा रही है।