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जानिये कितने लोगों के पास नही है, अपना घर ?

नयी दिल्ली , बचत की कमीए कर्ज लेने में कोताही, ऊँची ब्याज दर और ऋण की कम उपलब्धता के कारण देश के मात्र 32 फीसदी लोग ही खुद के खरीदे अपने आशियाने में रह पा रहे हैं। इन बाधाओं के कारण 56 प्रतिशत लोग निकट भविष्य में भी मकान खरीदने की कोई योजना नहीं बना रहे।
इंडिया मॉर्गेज गारंटी कॉरपोरेशन  ने आज अपने पहले वार्षिक सर्वेक्षण होम हंट 1.1 ;मकान की खोज के परिणाम जारी किये। इस सर्वेक्षण का मकसद देश में मकान खरीदने वालों की सोच, आवश्यकता और चिंता की जानकारी हासिल कराना है।

यह सर्वेक्षण कैनटर आईएमआरबी के साथ मिलकर देश के मेट्रो शहरों – दिल्ली, मुंबई, बंगलुरु, चेन्नई और कोलकाता

मिनी मेट्रो शहरों . जयपुर, अहमदाबाद, पुणे, हैदराबाद और छोटे शहरों . इंदौर, रायपुर, नागपुर, भुवनेश्वर और विशाखापत्तनम् में दो चरणों में किया गया।
सर्वेक्षण में शामिल 38 फीसदी लोगों ने मकान न खरीद पाने के पीछे मुख्य कारण ब्याज दर अधिक होना बताया। इसी तरह 38 फीसदी लोगों के मुताबिक उन्हें कर्ज लेने की इच्छा नहीं हुईए जिसके कारण वे मकान नहीं खरीद पाये। करीब 32 फीसदी के लिए बचत नध्न होना और अन्य 32 फीसदी के लिए ऋण की पर्याप्त उपलब्धतता न होना भी समस्या रही।
कर्ज लेकर मकान खरीदने की चाह रखने वालों में 43 फीसदी ब्याज की ऊँची दरए 40 फीसदी कर्ज लेने का कोई इतिहास नध्न होने और 38 फीसदी कर्ज की आवश्यक राशि प्राप्त न करने की समस्या से ग्रस्त होते हैं।
आईएमजीसी का कहना है कि शुरुआती जीवन में मकान के लिए पैसे उपलब्ध कराने की गंभीर आवश्यकता है और इस दिशा में होम फाइनेंस कंपनियों के पास अपार संभावनायें हैं।
सर्वेक्षण के अनुसारए पहली बार मकान खरीदने वाले शुरुआती भुगतान के लिए मुख्य रूप से निजी बचत पर निर्भर करते हैं और इसके कारण उन्हें मकान खरीदने में देर होती है। रिपोर्ट के मुताबिकए 46 प्रतिशत युवा अपने अभिभावकों के साथ रहते हैंए जिससे युवाओं की अपने अभिभावकों पर आर्थिक निर्भरता का पता चलता है। किराये के और अपने मकानों में रहने वाले ;31ःद्ध हैं। किराये के मकान में रहने के कारण बचत कम हाे पाती हैए जो मकान नध्न खरीद पाने की मुख्य समस्याें में से एक है। ऋण की चाह रखने वाले युवाओं के लिए श्लोन हिस्ट्री नध्न होनाश् और श्आवश्यक राशि कर्ज में प्राप्त करनाश् दूसरों की तुलना में भी एक बड़ी समस्या है।
छाेटे शहरों में 37 फीसदी लोग किराये पर रहते हैं जबकि मेट्रो शहरों में 29 फीसदी लोग किराये पर रहते हैं। मिनी मेट्रो शहरों में 23 फीसदी लोग किराये के मकान में रहते हैं। किराये पर रहने वाले सर्वाधिक 63 फीसदी लोग 25 से 44 साल की आयुवर्ग के हैं। इस आयु वर्ग में किफायती आवास की मांग काफी है।
रिपोर्ट से पता चलता है कि आज के जमाने में युवा भले ही कम उम्र से कमाने लगे हैं और मकान के लिए कर्ज की किस्तें चुकाने में भी सक्षम हैंए लेकिन किराये के मकान पर रहने के कारण वे शुरुआती भुगतान ;डाउन पेमेंटद्ध के लिए पर्याप्त बचत नहीं कर पाते हैं। इस सर्वेक्षण से यह बात भी सामने आयी है कि 62 से 65 फीसदी मकान के लिए शुरुआती भुगतान अपनी बचत से करना चाहते हैं ।

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