बैठने के गलत तरीके, लंबे समय तक बैठे रहने या रात को ठीक-से न सोने के कारण अकसर गर्दन का दर्द सताने लगता है। इससे राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं ये योगासन… शिशु आसन फर्श पर घुटने के बल बैठ जाएं। पिंडलियों को जमीन पर इस तरह रख दें कि दोनों पंजे आपस में मिले हों। एड़ियों के भार बैठ जायें। हाथों को शरीर के दोनों ओर जमीन पर रख दें। लंबी गहरी श्वास छोड़ें और कमर को झुकाते हुए धड़ को दोनों जंघाओं के बीच ले आएं। अब धीरे-से सिर को जमीन पर रख दें। उतनी ही चेष्ठा करें जितना सरलता से संभव हो सके।
हथेलियों को धड़ के दोनों तरफ जमीन पर रखे रहेंद्य इसी आसन में जितनी देर संभव हो, विश्राम में रहें। फिर धीरे-से श्वास लेते हुए अपने शरीर को धीरे-धीरे ऊपर उठाते हुए सीधे हो जाएं। हथेलियों को आकाश की ओर मुंह करके जंघा पर रखें जैसे ईश्वर को समर्पण कर रहे हैं। इस आसन से केवल गर्दन और पीठ के दर्द से ही आराम नहीं मिलता, बल्कि मन भी शांत हो जाता है। यह आसन कूल्हों, जांघों और पिंडलियों को लचीला बनाकर एक शिशु जैसी ताजगी महसूस कराता है।
नटराज आसन पीठ को सीधे रखते हुए जमीन पर लेट जाएं। सीधे पैर को धीरे-से उठाकर बाएं पैर के ऊपर ले आएं। बायां पैर सीधा ही रखें। ध्यान रहे कि दाहिना पैर जमीन पर एक सीधा कोण बनाए। दोनों हाथों को शरीर के दाहिने और बाएं तरफ फैला कर रखें। चेहरे को दाहिनी तरफ मोड़ लें। कुछ गहरी लंबी श्वास लें और छोड़ें और इसी मुद्रा में 30 सेकंड तक स्थिर रहें। बाएं पैर से इसी आसन को दोहराएं। यह मांसपेशियों को लचीला बनाता है।
पबीतिलीआसन या गौ मुद्रा पिंडलियों को जमीन पर रखें और बाकी शरीर को टेबल टॉप मुद्रा में रखें, यानी जांघों, धड़ और हाथों की सहायता से एक मेज का रूप धारण करें। घुटने और कूल्हों को एक ही लाइन में रखें। धड़ जमीन के समानांतर हो। इस मुद्रा में रहते हुए सांस भरें और पेट को अंदर खींचें। अब सिर को ऊपर की तरफ उठाएं। इसी मुद्रा में थोड़ी देर तक रहें और फिर मार्जरिआसन में आ जाएं। मार्जरिआसन या कैट मुद्रा सांस छोड़ें और रीढ़ की हड्डी को कूबड़ की तरह गोल करते हुए सिर को नीचे ले जाएं। धीरे-से ठुड्डी को गर्दन से लगा देंद्य इन दोनों मुद्राओं को श्वास लेते हुए और छोड़ते हुए, बारी-बारी से करें। इसे करने से मेरुदंड और पेट की हल्की मालिश होगी, साथ ही गर्दन के दर्द से छुटकारा भी मिल जाएगा। उत्थिता त्रिकोणासन सीधे खड़े हो जाएं।
अब पैरों को जितना फैला सकें, फैला दें। पीठ को सीधे रखते हुए दोनों बांहों को बगल में फैला कर रखें। श्वास भरें और धीरे-से दाहिनी ओर झुक जाएं। दाहिना हाथ घुटने को स्पर्श करे और बायां हाथ ऊपर की दिशा में हो। इस मुद्रा में रहते हुए बाएं हाथ की तरफ देखते रहें। इसी मुद्रा में जब तक रह सकें, रहें। फिर दूसरी तरफ से करें। याद रखें कि आप अपनी क्षमता के अनुसार ही यह आसन करें। विपरीत कर्णी आसन पीठ के बल लेट जाएं और टांगों को दीवार का सहारा देते हुए पैरों को छत की ओर उठा लें।
बांहों को फैला कर शरीर के दोनों तरफ जमीन पर रख दें और हथेलियों को आकाश की तरफ मोड़ कर खुली रखें। दूसरी मुद्रा में जाने से पहले इसी मुद्रा में कम से कम 15 की गिनती करें और गहरी लंबी श्वास लें और छोड़ें। यह आसन गर्दन के पिछले हिस्से को सहजता से मालिश देता है, हल्के-फुल्के पीठ दर्द से आराम देता है और थकान को दूर कर पैरों की जकड़न को दूर करता है। शवासन जमीन पर सीधे लेट जायें, हाथों को शरीर के दोनों ओर रख लें और पैरों को थोड़ा सा खोल दें। हाथों को शरीर के दोनों तरफ रख कर हथेलियों को आकाश की तरफ खोल दें। यह आसन सब आसनों के आखिर में किया जाता है। मांसपेशियों और खुद को गहरा विश्राम देने के लिए शरीर को इस स्थिति में 5 मिनट तक रहने दें।