नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गोरक्षा के नाम पर गुजरात के ऊना में हुई दलितों की पिटाई के बाद शनिवार को पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ते हुए अराजकता फैलाने वालों को आड़े हाथों लिया। प्रधानमंत्री ने कहा, कुछ लोग गोरक्षा के नाम पर अपनी दुकान खोलकर बैठ गए हैं। उन्होंने आक्रोश भरे लहजे में कहा कि ऐसे लोगों पर मुझे इतना गुस्सा आता है।
मोदी ने कहा, गो भक्त अलग हैं, गो सेवक अलग हैं। उन्होंने बादशाह और राजा की कहानी सुनाते हुए कहा कि पहले बादशाह युद्ध के मैदान में गायों को आगे कर देते थे। राजा इसलिए बादशाह पर हमला नहीं करते थे कि गाय मारने से उन्हें पाप होगा। राजा पराजित हो जाता था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कुछ लोग पूरी रात असामाजिक गतिविधियों में लिप्त रहते हैं। ऐसे लोग दिन में अपनी गतिविधियों को छिपाने के लिए गोरक्षा का चोला पहन लेते हैं। प्रधानमंत्री मोदी इंदिरा गांधी स्टेडियम में केंद्र सरकार के माय गोव प्लेटफार्म के दो साल पूरा होने के मौके पर आयोजित टाउन हाल कार्यक्रम में लोगों के सवालों का जवाब दे रहे थे। सामाजिक संगठन और वालंटीयर्स से जुडे सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने गोरक्षा के नाम पर कानून हाथ में ले रहे लोगों को जमकर लताड़ा। उन्होंने राज्य सरकारों को ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का संकेत देते हुए कहा कि मैं राज्य सरकारों से कहता हूं कि इन गोरक्षकों का डोजियर तैयार करो इनमें से 70 फीसदी ऐसे निकलेंगे जो ऐसी गतिविधि में लिप्त होंगे जिन्हें समाज स्वीकार नहीं करता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सबसे ज्यादा गाय कत्ल से नहीं मरती हैं। बल्कि उनकी मौत प्लास्टिक खाने से होती हैं। उन्होंने कहा कि जब मैं गुजरात में था तो पशुओं का कैंप लगवाता था। इसमें बीमारी से ग्रस्त पशुओं का आपरेशन कराया जाता था। एक बार एक गाय के पेट से दो बाल्टी प्लास्टिक निकली। उन्होंने कहा कि अगर गायों को प्लास्टिक खाना बंद करवा दें तो यह भी बड़ी गो सेवा है।