नैनीताल, उत्तराखंड में फर्जी दस्तावेजों के सहारे 87 अध्यापकों की नियुक्ति हुई थी, जिनमें से तीन शिक्षक सेवानिवृत हो चुके हैं। इस बात का खुलासा प्रदेश सरकार की ओर से उच्च न्यायालय में दायर शपथपत्र से हुआ है। विभाग ने अब इनके देयकों का भुगतान रोक दिया है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन तथा न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की पीठ के समक्ष प्रदेश की शिक्षा सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम की ओर से पेश शपथपत्र में कहा गया कि फर्जी दस्तावेजों के सहारे नियुक्त अध्यापकों की जांच एसआईटी को सौंपी गयी है। फर्जी दस्तावेजों के बल पर नियुक्ति पाने के कुल 87 मामले सामने आये हैं।
ऐसे 38 फर्जी शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया है, जबकि 20 को निलंबित कर दिया गया है। इस मामले की एसआईटी से जांच कराई जा रही है। यह भी तथ्य सामने आया है कि ऐसे ही तीन शिक्षक सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं। अब शिक्षा विभाग उनके देयकों का भुगतान रोक दिया है। 13 आरोपियों के दस्तावेजों के सत्यापन की जांच की जा रही है।
शपथपत्र में एक और चैंकाने वाला तथ्य सामने आया कि फर्जी दस्तावेजों के सहारे नियुक्ति पाने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। सचिव की ओर से पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले मई में दो नये मामले सामने आये हैं। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि चार मामले ऐसे भी सामने आये हैं जिनकी एसआईटी और विभाग की ओर से जांच की गयी और दोनों की जांच रिपोर्ट में अलग- अलग तथ्य सामने आये हैं। इन मामलों को पुनः एसआईटी के पास जांच के लिये भेजे गये हैं।
शपथपत्र में यह भी कहा गया है कि फर्जी दस्तावेजों के सहारे नियुक्ति के सबसे अधिक 37 मामले हरिद्वार जनपद में सामने आये हैं। इनमें 15 को बर्खास्त कर दिया गया है। सेवानिवृत्ति के बाद दो मामलों में भुगतान रोक दिया गया है। हरिद्वार जनपद में ही हाल ही में दो नये मामले भी सामने आये हैं। इसी प्रकार रूद्रप्रयाग जनपद में 16, ऊधमसिंह नगर में 12, चमोली में दो, पौड़ी, नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ तथा टिहरी जनपदों में एक-एक मामले सामने आये हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि रूद्रप्रयाग में चार, ऊधमसिंह नगर में पांच, चमोली में दो, पौड़ी, नैनीताल, अल्मोड़ा तथा पिथौरागढ़ जनपदों में एक-एक फर्जी शिक्षक को बर्खास्त कर दिया गया है।
इस पूरे प्रकरण का खुलासा हल्द्वानी के दमवाढूंगा स्थित स्टूडेंट-गार्जियन वेलफेयर कमेटी की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हुआ है। याचिकाकर्ता की ओर से इसी साल एक याचिका दायर कर कहा गया कि प्रदेश में साढ़े तीन हजार फर्जी शिक्षक नियुक्त हैं। जिन्होंने फर्जी दस्तावेजों के सहारे पर नियुक्ति हासिल की है। शिक्षा विभाग ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहा है। इस मामले की जांच स्वतंत्र एजेंसी से करायी जाये और फर्जी शिक्षकों को बचाने वाले अधिकारियों की भी जांच कर कार्यवाही की जाये।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता टीसी पांडे ने बताया कि अदालत ने सुनवाई के बाद आज सरकार को निर्देश दिया है कि विस्तृत जवाब पेश करें कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ अभी तक क्या कार्रवाई की गई है।