गन्ने की खेती अब घाटे का काम नही, ये बना अब लाभ का काम
November 14, 2019
लखनऊ, उत्तर प्रदेश सरकार का दावा है कि पिछले पंद्रह सालों में लोगों ने मान लिया था कि गन्ना लगाना घाटे का काम है, लेकिन अब हमने इसे लाभ का काम बना दिया है. जानिये गन्ने की खेती से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य-
गन्ना एक महत्वपूर्ण नगदी फसल तथा प्रदेश के 40 लाख गन्ना किसान परिवारों की जीविका का आधार एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
कृषि क्षेत्र में चीनी मिलों की स्थापना एवं संचालन से क्षेत्र के गन्ना किसानों की आर्थिक उन्नति के साथ-साथ क्षेत्रीय रोजगार का सृजन एवं क्षेत्र का सर्वांगीण विकास होगा।
एक चीनी मिल की स्थापना से लगभग 30,000 गन्ना किसान परिवार एवं 8,500 लोगों को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रोजगार के रूप में फायदा, जिसके दृष्टिगत नई चीनी मिलों की स्थापना एवं क्षमता विस्तार का निर्णय लिया गया।
किसान की खुशहाली में गन्ने के योगदान एवं रोजगार सृजन को दृष्टिगत रखते हुए सरकार द्वारा पूर्वांचल की बंद पड़ी निगम क्षेत्र की चीनी मिल पिपराईच एवं मुण्डेरवा में 5,000 टी.सी.डी. क्षमता की नई मिल का निर्माण किया गया।
सहकारी क्षेत्र की रमाला चीनी मिल (बागपत) एवं निगम क्षेत्र की मोहिउद्दीनपुर (मेरठ) की पेराई क्षमता बढ़ाई गई, जिससे किसानों के अतिरिक्त उपलब्ध गन्ने की सुगम आपूर्ति हो सके।
गन्ना किसानों की गन्ना आपूर्ति हेतु गन्ना क्षेत्रफल एवं उत्पादन का निर्धारण, बेसिक कोटा एवं सट्टे का आंकलन, कलेण्डरिंग एवं पर्चियों का निर्गमन सम्बन्धित गन्ना समितियों का दायित्व।
पूर्व वर्षों में उक्त व्यवस्था समितियों से हटाकर चीनी मिलों को हस्तांतरित कर दी गई थी, जिसके फलस्वरूप मिलों की मनमानी से गन्ना आपूर्ति में अव्यवस्था, माफियाओं के वर्चस्व एवं भ्रष्टाचार से वास्तविक किसानों का हित प्रभावित हो रहा था।
सरकार ने माफियाओं एवं भ्रष्टाचार के विरूद्ध जीरो टाॅलरेन्स की नीति के अन्तर्गत अभूतपूर्व निर्णय लेते हुए पर्ची निर्गमन का कार्य चीनी मिलों से वापस लेकर पुनः 2018-19 में गन्ना समितियों को दिया गया।
पहली बार गत पेराई सत्र 2018-19 में विकेन्द्रीकृत व्यवस्था के अन्तर्गत पर्ची निर्गमन का कार्य गन्ना समितियों द्वारा क्षेत्रीय वेण्डरों के माध्यम से सफलतापूर्वक सम्पादित किया गया, जिसके फलस्वरूप चीनी मिलों को ताजा गन्ना आपूर्ति हुई और गन्ना किसानों को गन्ने के अधिक वजन का मूल्य एवं चीनी मिलों को अधिक रिकवरी के रूप में फायदा हुआ। ताजा गन्ना आपूर्ति से गन्ने की सूख कम होने केे कारण गन्ना किसानों को लगभग रू.2,150 करोड़ का अतिरिक्त गन्ना मूल्य प्राप्त हुआ तथा चीनी रिकवरी में 0.62 प्रतिशत की वृद्धि के फलस्वरूप रू.1,900 करोड़ का अतिरिक्त चीनी उत्पादन हुआ।
गन्ना कृषकों की सुचारू रूप से सही गन्ना आपूर्ति हेतु पर्चियों के निर्धारण तथा पर्ची निर्गमन में पूर्ण पारदर्शिता लाने एवं एकरूपता के उद्देश्य से प्रदेष में विभाग द्वारा वर्तमान पेराई सत्र से सर्वे डेटा, प्री-कैलेण्डर, गन्ना कैलेण्डर, पर्चियों के निर्गमन आदि हेतु प्रदेष में एकीकृत नई गन्ना ई.आर.पी. प्रणाली अपनाई गई है ताकि शासन के मंषानुरूप अपेक्षित परिणाम प्राप्त हो सकें।
गन्ना ई.आर.पी. के माध्यम से गन्ना किसानों को पर्ची संबंधी सूचना उनके मोबाइल पर एस.एम.एस. के माध्यम से भी प्राप्त कराये जाने की व्यवस्था की गयी है जिसको दिखाकर भी गन्ना किसान तौल करा सकेगें।
तौल लिपिकों के पाक्षिक हस्तान्तरण में गड़बड़ी रोकने हेतु ई.आर.पी. के मध्यम से आॅन लाईन लाटरी द्वारा तौल लिपिकों का पाक्षिक हस्तान्तरण किया जा सकेगा।
प्रदेश के गन्ना किसान भाइयों की समस्याओं के निस्तारण हेतु गन्ना आयुक्त कार्यालय में स्थापित टोल फ्री नम्बर-1800-121-3203 पर 24 घंटे (24×7) शिकायत दर्ज कराने की सुविधा दी गई है।
गन्ना ई.आर.पी. व्यवस्था के अन्तर्गत विकसित किये गये वेब- पोर्टल ष्बंदमनचण्पदश्, ’’ई-गन्ना एप’’ एवं एस.एम.एस. के आधार पर भी तौल की व्यवस्था होने एवं समितियों के सुदृढ़ीकरण एवं प्रशासनिक सुधार के कारण माफिओं और विचैलियों पर अंकुश लगेगा एवं किसानों को समिति कार्यालय के चक्कर नही काटने पडे़गे और घर बैठे सारी जानकारी उन्हें प्राप्त हो सकेंगी एवं समस्याओं का निस्तारण हो सकेगा जिससे सरकार की मंशानुरूप गन्ना किसानों की समृद्धि सुनिश्चित होगी।