लखनऊ, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि विश्वविद्यालय में 26 नवम्बर को ष्संविधान दिवसष् आयोजित कर विद्यार्थियों को बतायें कि हमारा संविधान कैसा है तथा इसके पीछे क्या भावना निहित है।
श्रीमती पटेल ने आज यहां ख्वाजा मुईनृुद्दीन चिश्ती उर्दूए अरबी.फारसी विश्वविद्यालय के चतुर्थ दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज के अवसर पर विद्यार्थी यह संकल्प लें कि भावी जिन्दगी बनाने के लिए करूणा एवं प्रेम के रास्ते पर चलेंगे तथा गलत कार्य नहीं करेंगे। यह भी संकल्प लें कि शादी.विवाह में दहेज की मांग नहीं करेंगे। उन्होंने बेटियों से आग्रह किया कि वे दहेज मांगने वालों से शादी न करने की हिम्मत दिखायें तभी समाज में बदलाव आयेगा। उन्होंने कहा कि जीवन में किसी को आदर्श मानकर पक्के विचार बनाइये तथा उसी के अनुरूप कार्य करते हुए देश एवं समाज के कल्याण के लिए कार्य करें।
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय केवल शिक्षा का दान न करेंए बल्कि विद्यार्थियों के सम्मुख सुखद भावी जीवन का मानचित्र भी प्रस्तुत करें। विश्वविद्यालय में एक ऐसा स्थान सुनिश्चित होना चाहिए जहां बेटियों को गर्भ संस्कार से संबंधित जानकारी दी जायए जिससे वे गृहस्थ जीवन के मूलभूत संस्कारों से भलीभांति परिचित हो सकें। विश्वविद्यालय में ही बेटियों के खून की जांच करायी जायेए जिससे यह पता चल सके कि उनमें खून की कमी तो नहीं हैए क्योंकि यदि बेटी स्वस्थ रहेगी तभी वह एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दे सकती है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय पांच गांव गोद ले तथा गांव का कलेवर बदलने में सक्रिय सहयोग करें। इसी तरह हम 18 वर्ष से कम उम्र के टीबी मरीजों को गोद लेकर देश को इस बीमारी से मुक्त बनाने में प्रधानमंत्री के सपने का साकार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने मानव स्वास्थ्य को दृष्टिगत रखते हुए फिट इण्डिया मूवमेन्ट का शुभारम्भ कियाए इसमें सभी को सहभाग करना चाहिए।
श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने प्रसन्नता व्यक्त की कि विश्वविद्यालय का भव्य पुस्तकालय विद्यार्थियों के समुचित अध्ययन का अनुकूल वातावरण प्रदान कर रहा है। यहां पुस्तकों एवं ऑनलाइन संसाधनों का विशाल संग्रह है। विश्वविद्यालय के पास निम्बस द्वारा विकसित ई.पोर्टल है, जिसके द्वारा विद्यार्थी राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय प्रकाशकों की पांच लाख से अधिक ई.पुस्तकों का अध्ययन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चे सिलेबस के अलावा अन्य किताबों की भी पढ़ाई करें। उपाधि प्राप्त करने के बाद पढ़ने की आदत न छोड़े। उन्होंने कहा कि विश्व के सामने खड़े होने के लिए ज्ञान होना चाहिए क्योंकि बिना ज्ञान के आप आगे नहीं बढ़ सकते।