नयी दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को प्रभावित करने की कोशिश करने वालों को दिल्ली की अदालत ने तलब किया।
दिल्ली की अदालत ने ओडिशा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आई एम कुद्दुसी और अन्य को कथित रूप से उच्च स्तर के अधिकारियों से साठगांठ करके उच्चतम न्यायालय के फैसलों को प्रभावित करने की कोशिश के आरोप में तलब किया।
उनके खिलाफ दायर आरोप पत्र पर संज्ञान लेते हुए विशेष न्यायाधीश अनिल कुमार सिसोदिया ने कुद्दुसी और छह अन्य को नौ जनवरी 2020 को अदालत के समक्ष उपस्थित रहने का निर्देश दिया।
कुद्दुसी के अलावा अदालत ने मामले में आरोपी लखनऊ में चिकित्सा महाविद्यालय चलाने वाले प्रसाद शिक्षण न्यास के बी पी यादव और पलाश यादव, कथित बिचौलिया विश्वनाथ अग्रवाल, कथित हवाला करोबारी रामदेव सारस्वत, भावना पांडे और सुधीर गिरि को भी अदालत में पेश होने को कहा गया है।
न्यायाधीश ने नौ जनवरी को आरोपियों को पेश होने का निर्देश देते हुए कहा, ‘‘ आरोप पत्र, गवाहों के बयान और आरोप पत्र के साथ जमा दस्तावेजों के आधार पर मेरी राय है कि अपराध का संज्ञान लेने के लिए पर्याप्त सामग्री है। इसलिए मैं अपराध का संज्ञान लेता हूं…आरोपी संख्या एक से आरोपी संख्या सात को अगली सुनवाई पर उपस्थित रहने के लिये समन जारी किया जाता है।’’
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने सातों आरोपियों पर आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है।
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि सरकार ने बीपी यादव के प्रसाद आयुर्विज्ञान संस्थान में अकादमिक वर्ष 2017-18 और 2018-19 में प्रवेश लेने पर रोक लगा दी थी जिसके बाद यादव ने उच्चतम न्यायालय और इलाहाबाद उच्च न्यायलय से संपर्क किया।
इस मामले की सुनवाई उच्चतम न्यायालय में उस समय की गई जब कथित तौर पर यादव ने कुद्दुसी और पांडे से उच्च स्तर पर अधिकारियों से साठगांठ कर मामले को सुलझाने के लिए संपर्क किया।
आरोप पत्र के मुताबिक भुवनेश्वर के रहने वाले अग्रवाल ने दावा किया वरिष्ठ अधिकारियों से करीबी संबंध का इस्तेमाल कर वह इस मामले का उनके पक्ष में समाधान करा देगा।
सूत्रों ने बताया कि सीबीआई ने अग्रवाल से एक करोड़ रुपये जब्त की थी। यह राशि कथित तौर पर सारस्वत के जरिये आई थी। 91.90 लाख रुपये अन्य आरोपियों के परिसरों में छापेमारी के दौरान बरामद की गई थी।