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एससी और एसटी को राज्यसभा तथा विधान परिषदों में आरक्षण देने की मांग आज राज्यसभा में उठी

नयी दिल्ली,  अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय को लोकसभा तथा विधानसभाओं की तर्ज पर राज्यसभा तथा विधान परिषदों में भी आरक्षण देने की मांग आज राज्यसभा में की गयी।

कांग्रेस के पी एल पूनिया ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय को लोकसभा तथा विधानसभाओं में आरक्षण देने संबंधी संविधान (एक सौ छब्बीसवां संशोधन) विधेयक 2019 पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए यह मांग की।विधेयक में लोकसभा तथा विधानसभाओं में अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति समुदाय के आरक्षण को दस वर्ष और बढाने का प्रावधान है।

यह आरक्षण 25 जनवरी 2020 को समाप्त हो रहा है। इससे पहले भी इस आरक्षण को पांच बार बढाया जा चुका है। सदस्यों ने एंग्लो इंडियन समुदाय के दो सदस्यों के लोकसभा में मनोनयन के प्रावधान को विधेयक से हटाये जाने को लेकर आपत्ति भी जतायी।श्री पूनिया ने कहा कि इन समुदायों के लोग अभी भी देश में पूरी तरह सामाजिक तथा आर्थिक बराबरी पर नहीं आये हैं और विकास में पिछड़े हैं।

उन्होंने कहा कि जिन कारणों से इन समुदायों को आरक्षण दिया गया था वे अभी भी विद्यमान हैं। उन्होंने कहा कि इसमें संदेह नहीं है कि बीते वर्षों में इन वर्गों के लोगों का उत्थान तथा कल्याण हुआ है लेकिन अभी भी ये गैर बराबरी पर हैं।

उन्होंने कहा कि इन समुदायों को लोकसभा तथा विधानसभा की तर्ज पर राज्यसभा और विधान परिषदों में भी आरक्षण दिये जाने की जरूरत है। उन्होंने इन समुदायों के लिए बजट में ‘सब प्लान’ की व्यवस्था को बहाल किये जाने की भी जरूरत बतायी। सदस्य ने एंग्लो इंडियन समुदाय के दो सदस्यों को लोकसभा में मनोनीत करने के प्रावधान का विधेयक में जिक्र न होने पर आपत्ति जतायी।