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क्षेत्रीय भाषाओं में फैसले सुनायें हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट

मथुरा,  उत्तराखंड विधि आयोग के एक सदस्य ने कहा कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों को क्षेत्रीय भाषाओं में फैसले सुनाने चाहिए जिन्हें देश की अधिकांश आबादी समझ सकें।

चंद्रशेखर उपाध्याय ने सोमवार को यहां एक कार्यक्रम में संवाददाताओं से कहा, ‘‘जब संविधान लागू हुआ, तो अनुच्छेद 348 के तहत केवल पंद्रह साल की अवधि के लिए उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों द्वारा अंग्रेजी में फैसला सुनाये जाने की व्यवस्था की गई थी।’’ संविधान के अनुच्छेद 348 में उच्चतर न्यायालयों में सभी कार्यवाही अंग्रेजी में किए जाने का प्रावधान है।

उत्तराखंड के पूर्व महाधिवक्ता ने कहा कि संविधान में जो अस्थायी प्रावधान किए गए थे, वह 70 वर्षों बाद अभी भी प्रैक्टिस में है, जिसे केवल 15 वर्षों के लिए लागू किया जाना चाहिए था। उन्होंने स्पष्ट किया कि मुझे अंग्रेजी से कोई शिकायत नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, देश की आबादी को अपनी क्षेत्रीय भाषा में उच्च न्यायालयों और शीर्ष अदालत के फैसले को जानने का पूरा अधिकार है।’’