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लोगों को जागरूक करने के लिये, वैलेंटाइंस डे का किया गया एसे उपयोग

नई दिल्ली,  शहर की जर्जर होती धरोहरों की दुर्दशा के प्रति ध्यान आकर्षित करने का नायाब तरीका ढूंढते हुए लोगों के एक समूह ने करीब दो सदी पुराने पटना कलेक्ट्रेट के स्तंभों को गले लगा कर वैलेंटाइंस डे मनाया। उल्लेखनीय है कि इस इमारत को ढहाए जाने का प्रस्ताव है।

कलेक्ट्रेट के साथ शुक्रवार का दिन बिताने का जिन लोगों ने चयन किया उनमें अमेरिका में पढ़े वकील, एक युवा कवि और शहर के कुछ स्थानीय निवासी शामिल थे। पटना उच्च न्यायालय में वकील कुमार शानू ने कहा, ‘‘यह दुखद है कि पटना कलेक्ट्रेट जैसी ऐतिहासिक इमारत ढहाये जाने का सामना कर रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमलोग यह मुद्दा उठाना चाहते हैं और इसलिए हमने कलेक्ट्रेट भवन के साथ समय बिताने का चयन किया। हमें अपने धरोहर का जश्न मनाना चाहिए और उन्हें ढहाने से बचाना चाहिए। विश्वस्तरीय सभी शहर पहले से निर्मित अपने धरोहर का संरक्षण करते हैं जबकि नयी चीजें भी निर्मित करते हैं। युवा के तौर पर हमें निश्चित रूप से अपनी विरासत को बचाने के लिए आगे आना चाहिए।’’

शानू (26) ने कहा कि अमेरिका में कई लोग बिहार को उसकी गरीबी के कारण जानते हैं लेकिन वे राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से भी परिचित हैं। अमेरिका और अन्य देशों में मेरे कई दोस्त कलेक्ट्रेट की दुर्दशा से अवगत हैं। पटना कलेक्ट्रेट के साथ वैलेंटाइंस डे मनाने का आह्वान बिहार में ऐतिहासिक संरक्षण के लिए मुहिम चलाने वाली एक सिविल सोसाइटी ‘सेव हिस्टोरिक पटना कलेक्ट्रेट’ ने किया था।
यहां के एक युवा कवि अंचित पांडे दोपहर बाद कलेक्ट्रेट पहुंचे और वहां की तस्वीरें और सेल्फी ली।

पांडे ने कहा, ‘‘किसी शहर की पहचान उसके आधुनिक मॉल और चमक दमक से भरपूर शोरूम से नहीं होती, बल्कि उसके उन भवनों से मिलती है जो अपनी दीवारों के भीतर शहर और हमारे धरोहरों की ऐतिहासिक परतों को संजोए रखते हैं।’’ वर्ष 2016 में इसे ढहाए जाने के प्रस्ताव के तुरंत बाद डच राजदूत अल्फोंसस स्टोलींगा और लंदन स्थित गांधी फाउंडेशन ने कलेक्ट्रेट को ढहाए जाने का प्रस्ताव छोड़ने का अनुरोध किया था। इसी जगह ऑस्कर पुरस्कार जीत चुकी फिल्म ‘गांधी’ के अधिकतर हिस्सों की शूटिंग हुई थी।