नई दिल्ली, जाति आधारित जनगणना करवाये जाने का प्रस्ताव आज बिहार विधानसभा से पास हो गया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव सहित बिहार के कई दूसरे राजनीतिक दल भी जाति आधारित जनगणना की मांग लगातार कर रहे थे।
इससे पहले विधानसभा से अचानक एनआरसी का प्रस्ताव पास कराए जाने के बाद बिहार की राजनीति में चर्चाओं का बाजार गर्म है। वहीं आज बीजेपी की सहयोगी पार्टी जनता दल यूनाइटेड ने दूसरा बड़ा झटका दे दिया है।
जेडीयू का कहना है कि जाति आधारित जनगणना से देशभर में पिछड़े वर्ग के लोगों की संख्या का सही अंदाजा हो पाएगा और उन तक सरकार की विकास योजनाओं को पहुंचाना आसान होगा।
जेडीयू ने कहा है कि 2011 में भी सामाजिक आर्थिक जनगणना करवाई गई थी लेकिन आजतक इस जनगणना के जाति से जुड़े आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।
जेडीयू ने कहा है कि जाति आधारित जनगणना से देश में रहने वाली सभी जातियों का आंकड़ा पता चल सकता है।
इससे पहले सदन से एनआरसी लागू नहीं कराने का प्रस्ताव पास होने के बाद बीजेपी को जहां पहली चोट लगी । वहीं आज बिहार विधानमंडल के बजट सत्र के चौथे दिन आज विधानसभा से जाति आधारित जनगणना का प्रस्ताव पास हो गया है। जो बीजेपी के लिये दूसरी बड़ी चोट है।
इसबीच नेता विपक्ष तेजस्वी यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच जो तल्खी दिख रही थी उसमें भी कमी आई है। पिछले दो दिनों में दोनों नेताओं के बीच दो बार मुलाकात हो चुकी है।
आज विधानसभा से जाति आधारित जनगणना का प्रस्ताव पास होने के बाद बिहार में जातीय आधार पर जनगणना होगी।
वर्तमान में पिछड़े वर्ग के लिए 27 फ़ीसदी की आरक्षण सीमा तय है। पहली बार 1931 में जाति आधारित जनगणना की गई थी और पिछड़ी जातियों को मण्डल कमीशन के तहत जो 27 फ़ीसदी का आरक्षण मिलता है वो 1931 की जनगणना के आधार पर ही तय की गई थी।