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इस राजनैतिक पार्टी का मुख्यालय बना मजदूरों का आश्रय स्थल

Mumbai: Migrants board a truck to travel to their native places in UP during the ongoing COVID-19 nationwide lockdown, in Mumbai, Wednesday, May 13, 2020. (PTI Photo) (PTI13-05-2020_000066B)

नयी दिल्ली , किसी राजनैतिक पार्टी का मुख्यालय क्या मजदूरों का आश्रय स्थल बन सकता है? जीहां इस संकट की घड़ी मे ये कांग्रेस पार्टी ने कर दिखाया है।

दिल्ली कांग्रेस ने प्रदेश कार्यालय में अस्थायी आश्रय केंद्र बनाकर प्रवासी श्रमिकों के रहने के लिए 50 बिस्तरों का इंतजाम किया है जहां प्रवासियों के लिए तीनों समय का पौष्टिक खाना के साथ सैनिटाईजेशन, मास्क और समाजिक दूरी का भी ध्यान तब तक रखा जाएगा जब तक पार्टी इन प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्य नही भेज देती।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने बताया कि पार्टी प्रवासी श्रमिकों के रेल टिकट का भी इंतजाम कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश कार्यालय राजीव भवन में विस्थापित प्रवासी श्रमिकों की ओर से कोरोना महामारी लॉकडाउन के सभी नियमों का पालन किया जा रहा है।
चौ. अनिल ने आज दिल्ली के बार्डरों के आने-जाने वाली जगहों का दौरा किया, जहां कांग्रेस कोरोना यौद्धाओं की दिल्ली बार्डर रिलिफ टीम उन हजारों प्रवासी श्रमिकों, जो देश भर में कोरोना महामारी लॉकडाउन के कारण अपने गृह राज्यों को पैदल ही जाने को मजबूर है, उनको खाने का सामान, पानी, मास्क बांटा जा रहा है और उन्हें फर्स्ट एड सुविधाओं के साथ सेनिटाईज भी कराया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार और केन्द्र की भारतीय जनता पार्टी की सरकार इन प्रभावित लोगों के लिए कुछ नही कर रही हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा कि कांग्रेस पार्टी बिना किसी दिखावे के लॉकडाउन के संकट के दौरान भूखे और जरुरतमंदों की सेवा कर रही है, क्योंकि पार्टी का एकमात्र उदेश्य भूखे लोगों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराकर उनकी पीड़ा कम करना है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल से प्रवासी श्रमिकों को बस अथवा रेल से उनके गृह राज्यों को भेजने की अनुमति मांगी थी, इनके जाने के खर्चे को कांग्रेस पार्टी वहन करने के लिए तैयार है। परंतु प्रदेश कांग्रेस को इस संदर्भ में दिल्ली सरकार से कोई जवाब नही मिला। उन्होंने कहा कि प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्य भेजने के लिए दिल्ली सरकार का यह रवैया असंवेदनशील है।