लखनऊ, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा है राज्य में रोजगार सृजित करने के लिये हमें विशेष उत्पादों की ब्रांडिग कर उन्हें ग्लोबल स्तर तक पहचान दिलाने की आवश्यकता है।
श्रीमती आनंदीबेन रविवार को डाॅ0 भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा द्वारा आयोजित वेबिनार ‘रिवर्स माइग्रेशन एण्ड रूरल डेवलेपमेंट इन उत्तर प्रदेश’ को सम्बोधित करते हुये कहा कि राज्य में स्थानीय स्तर पर रोजगार सजृन करने के लिये उद्यमियों एवं व्यावसायियों को अधिक से अधिक जानकारी जानकारिया देनी होंगी। जिले के विशेष उत्पाद की ब्रांडिंग कर लोकल स्तर से ग्लोबल स्तर तक पहचान दिलाने होगी।
उन्होंने कहा कि जो कामगार या श्रमिक अपने हुनर एवं मेहनत से अन्य स्थानों पर जाकर वहाँ का विकास कर सकते हैं तो वे अपने प्रदेश में रहकर अपनी आजीविका एवं रोजगार को सुचारू रूप से क्यों नहीं चला सकते हैं। प्राकृतिक एवं भौगोलिक संरचना के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में संसाधनों की कोई कमी नहीं है। राज्य में उपजाऊ कृषि योग्य भूमि एवं नदियाँ हैं। प्रदेश कई कृषि उत्पादों के लिये विशेष महत्व रखता है।
राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश का प्रत्येक जिला अपने किसी न किसी विशेष उत्पादन के लिये भी विख्यात है। कन्नौज इत्र के लिये, मुरादाबाद पीतल के लिये, लखनऊ चिकन कारीगरी एवं दशहरी आम के लिये, अलीगढ़ ताला के लिये, फिरोजाबाद कांच के लिये एवं भदोही कालीन के लिये जाने जाते हैं। हम अपने यहाँ कामगारों के लिये रोजगार के अवसर सृजित नहीं कर पा रहे हैं। जरूरत है अवसरों को पहचानने के साथ-साथ उन्हें यथार्थ के धरातल पर उतारने की।
श्रीमती पटेल ने कहा कि हमें शहरों के साथ-साथ अपने गाँवों के विकास पर भी ध्यान केन्द्रित करना होगा। आज भी हमारी लगभग 70 प्रतिशत आबादी गाँवों में रहती है। ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यालय, चिकित्सालय, विद्युत, पहुंच के लिये पक्की सड़क एवं परिवहन आदि आवश्यक सुविधाएं पहुंचाकर ही विकास की रूपरेखा खींची जा सकती है। कृषकों को खेती हेतु सिंचाई एवं बिजली, खाद एवं उनके उत्पाद को सुरक्षित रखने हेतु कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था उपलब्ध होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि गाँवों में कुटीर एवं हस्तशिल्प उद्योग को बढ़ाने हेतु प्रोत्साहन देना होगा, तभी यह उपयोग हेतु आगे बढ़ सकेगा।
राज्यपाल ने कहा कि ‘एक जनपद-एक उत्पाद’ की तर्ज पर ‘एक जिला-एक फसल विशेष’ योजना पर अमल करने की जरूरत हैै। इस पर आधारित उद्योगों की स्थापना से बड़े पैमाने पर स्थानीय स्तर पर ही न केवल लोगों को रोजगार उपलब्ध होंगे, बल्कि उन्हें गांवों से शहरों में रोजगार की तलाश में नहीं जाना पड़ेगा। यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य जरूर है लेकिन असंभव नहीं है। किसानों की आमदनी में वृद्धि हेतु हमें जीरो बजट खेती पर भी ध्यान देने की जरूरत है, जहाँ बिना लागत लगाये खेती की जा सकती है। इसमें रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग बिल्कुल नहीं होता है। इस प्राकृतिक खेती में गाय का बहुत बड़ा योगदान होता है। इसके गोबर एवं गो-मूत्र से खेत की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होती है। इनके प्रयोग से उत्पादन लागत में कमी के साथ-साथ उत्पादन एवं अन्न की पौष्टिकता में भी वृद्धि हो सकेगी।
उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश में प्रवासी कामगारों एवं श्रमिकों को सेवायोजित करने के लिये ‘माइग्रेशन कमीशन’ गठित करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुये कहा कि माइग्रेशन कमीशन कामगारों एवं श्रमिकों को रोजगार से जोड़ने के लिये उल्लेखनीय प्रयास करेगा।
राज्यपाल ने कहा कि अच्छा एवं बुरा समय आता-जाता रहता है। लेकिन उससे शिक्षा लेकर कार्य करने वाला ही वास्तव में सफल होता है। आज वैसी ही स्थिति हमारे सामने है। पुराने रास्ते अवरूद्ध जरूर हुये हैं परन्तु समाप्त नहीं हुये हैं। हम इस समस्या पर विजय पाकर न केवल आगे बढ़ेंगे बल्कि भविष्य में ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिये स्वयं को तैयार भी करेंगे।
वेबिनार में उप मुख्यमंत्री डाॅ0 दिनेश शर्मा, उत्तर प्रदेश-उत्तराखण्ड इकाॅनामिक एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो0 रवि श्रीवास्तव, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय नोएडा के कुलपति प्रो0 बी0पी0 शर्मा, उत्तर प्रदेश राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो0 जी0सी0 त्रिपाठी, आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 अशोक मित्तल के साथ अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपति भी मौजूद थे।