लखनऊ, लॉकडाउन के दौरान तपती धूप में सैकड़ों किलोमीटर चल कर अपने गंतव्य की तरफ जा रहे श्रमिकों और कामगारों के लिए चंदौली स्थित एक पेट्रोलियम आउटलेट राहत भरा पड़ाव है।
भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के उप महाप्रबंधक (ब्रांड एवं जनसंपर्क) एस. एस. सुंदर राजन ने बताया कि चंदौली जिले के सैयद राजा गांव स्थित बीपीसीएल के एक आउटलेट पर प्रवासी मजदूरों के लिए भोजन, पानी और आराम करने की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। यह वाराणसी क्षेत्र में कंपनी द्वारा स्वयं संचालित किया जा रहा सबसे बड़ा आउटलेट है।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा बीपीसीएल ने पूर्वांचल के करीब 80 अन्य आउटलेट पर प्रवासी श्रमिकों के लिए भोजन, पानी और बैंकिंग सुविधाओं का इंतजाम किया है।
राजन ने बताया कि प्रवासी मजदूरों में बड़ी संख्या में गर्भवती महिलाएं और ऐसी औरतें भी शामिल हैं, जिनके छोटे-छोटे बच्चे हैं, लिहाजा उनकी जरूरतों का ख्याल रखते हुए सैयद राजा स्थित आउटलेट पर मदर केयर रूम भी बनाया गया है। इसके अलावा अनेक कामगार खुद खाना बना कर खाना चाहते हैं, उनके लिए सेल्फ कुकिंग एरिया का भी प्रबंध किया गया है।
बीपीसीएल के वाराणसी क्षेत्र प्रबंधक निखिल जवर ने बताया कि कंपनी ने बनारस, गाजीपुर, चंदौली, सोनभद्र, प्रयागराज, जौनपुर, मिर्जापुर, प्रतापगढ़ और भदोही जिलों में 80 अन्य आउटलेट भी चिह्नित किए हैं। इनमें से 30 पर प्रवासी श्रमिकों को पका हुआ भोजन तथा पानी की सुविधा दी गई है। साथ ही श्रमिकों को एटीएम से पैसे निकालने या भेजने की सुविधा के लिए बैंकिंग सेवा का इंतजाम भी किया है।
उन्होंने बताया कि बाकी 50 अन्य आउटलेट पर प्रवासी श्रमिकों को सूखा राशन, बिस्कुट, लैया-चना, चूरा तथा पानी दिया जा रहा है। अब तक सवा लाख से ज्यादा प्रवासी श्रमिकों को इन आउटलेट्स पर राहत दी गई है और यह सिलसिला जारी है।
वाराणसी क्षेत्र में ही यह आउटलेट खोले जाने के औचित्य के बारे में पूछे जाने पर जवर ने बताया कि चूंकि इस इलाके में प्रवासी मजदूरों का आवागमन सबसे ज्यादा है, इसलिए कंपनी ने इस क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया है।
राजन ने बताया कि मार्च के आखिरी हफ्ते में राष्ट्रव्यापी लॉक डाउन शुरू होने के बाद से ही देश के विभिन्न राज्यों से प्रवासी मजदूरों का अपने अपने घर रवाना होने का सिलसिला शुरू हो गया था लेकिन लॉक डाउन के दूसरे और तीसरे चरण में प्रवासी मजदूरों के अपने घर लौटने का क्रम अचानक बहुत तेज हो गया।
उन्होंने बताया कि ज्यादातर प्रवासी मजदूर उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के रहने वाले हैं जो अब अपने घर की तरफ लौट रहे हैं। उनमें से बहुत बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जो पैदल ही या फिर साइकिल से अपने गंतव्य की ओर जाने की कोशिश कर रहे हैं। चूंकि रास्ते के सभी ढाबे और ऐसे ही अन्य प्रतिष्ठान बंद है ऐसे में बीपीसीएल ने उनका ख्याल करने का जिम्मा उठाया है।