प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल पर लिखी देश के नाम चिट्ठी


नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल का एक साल पूरा होने पर देश की जनता के नाम चिट्ठी लिखी है. कोरोना संकट के दौर में प्रधानमंत्री ने देशवासियों की हिम्मत बढ़ाते हुए कहा है कि हमें यह हमेशा याद रखना है कि 130 करोड़ भारतीयों का वर्तमान और भविष्य कोई आपदा या कोई विपत्ति तय नहीं कर सकती. हम अपना वर्तमान भी खुद तय करेंगे और अपना भविष्य भी. हम आगे बढ़ेंगे, हम प्रगति पथ पर दौड़ेंगे, हम विजयी होंगे.
प्रिय मित्रों,
आज से एक साल पहले भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक नया स्वर्णिम अध्याय जुड़ा। देश में दशकों बाद पूर्ण बहुमत की किसी सरकार को लगातार दूसरी बार जनता ने जिम्मेदारी सौंपी थी. इस अध्याय को रचने में आपकी बहुत बड़ी भूमिका रही है. ऐसे में आज का यह दिन मेरे लिए, अवसर है आपको नमन करने का, भारत और भारतीय लोकतन्त्र के प्रति आपकी इस निष्ठा को प्रणाम करने का. अगर हालात सामान्य होते तो मैं आप लोगों के बीच होता, लेकिन मौजूदा हालात इसकी इजाज़त नहीं देते. तभी मैं इस पत्र के माध्यम से आपसे आशीर्वाद मांग रहा हूं.
आपके प्यार, भरोसे, और लगातार ने मुझे एक नई ऊर्जा और कुछ नया करने की प्रेरणा दी है. जिस तरीके से आपने लोकतंत्र की ताकत में भरोसा दिखाया है, ये पूरी दुनिया में एक मिसाल है. 2014 में लोगों ने बदलाव के लिये वोट किया था. पिछले 5 सालों में इस देश ने प्रशासनिक बाधाओं, भ्रष्टाचार और कुशासन की बेड़ियों से खुद को आज़ाद किया है. अंत्योदय की परिभाषा पर खरे उतरते हुए लाखों लोगों के जीवन में बदलाव आया है. 2014 से 2019 के बीच भारत का कद पूरी दुनिया में काफी बढ़ा है. गरीबों के मान में बढ़ोतरी हुई है. इस देश ने आर्थिक समावेश, फ्री गैस और बिजली कनेक्शन और स्वच्छता के क्षेत्र के साथ-साथ सबके लिये घर की तरफ काफी तरक्की की है.
भारत ने अपना लोहा सर्जिकल और एयर स्ट्राइक से दिखाया है. साथ ही साथ दशकों से चली आ रही ओआरओपी, वन नेशन वन टैक्स के रूप में जीएसटी और किसानों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसी पुरानी मांगों को भी पूरा किया है. 2019 में लोगों ने न केवल इन प्रयासों को जारी रखने के लिये वोट किया बल्कि इसमें भारत को एक नई ऊंचाई पर ले जाने का सपना भी था. आज 130 करोड़ भारतीय इस विकास की गाथा में खुद को भागीदार मानते हैं. जनशक्ति और राष्ट्रशक्ति की भावना ने पूरे देश को एक नई ऊर्जा दी है. सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास के मंत्र के साथ भारत हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है.
मेरे प्रिय भारतीयों, पिछले एक साल में कई फैसलों के बारे में काफी चर्चा हुई. अनुच्छेद 370 को हटाने से भारत की एकता और अखंडता का सिद्धांत आगे बढ़ा. माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा सर्वसम्मति से आए फैसले ने सदियों से चली आ रहे विवाद को खत्म किया. ट्रिपल तलाक जैसी अमानवीय व्यवस्था को कूड़े के ढेर में डाला. नागरिकता कानून में बदलाव भारत की करूणा और सबको साथ लेकर चलने की भावना का प्रतीक था. लेकिन ऐसे बहुत से फैसले थे जो भारत की विकास गाथा को नई ऊंचाई पर ले गये. लंबे वक्त से टल रहे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद के गठन ने सेनाओं के बीच तालमेल को बेहतर बनाया. इसी वक्त भारत ने मिशन गगनयान की तैयारियों को बढ़ाया. गरीबों, किसानों महिलाओं और युवाओं का सशक्तिकरण हमारी प्राथमिकता है. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में अब सभी किसान शामिल हैं. सिर्फ एक साल में 9 करोड़ 50 लाख से ज्यादा किसानों के बैंक खातों में 72 हज़ार करोड़ रुपये से ज्यादा जमा किये गये हैं.
जल जीवन मिशन के तहत पीने के पानी को ग्रामीण इलाकों के 15 करोड़ से ज्यादा घरों तक पाइपलाइन के सहारे पहुंचाया गया. 50 करोड़ लोगों के बेहतर स्वास्थ्य के लिये मुफ्त टीकाकरण का बड़ा अभियान चलाया गया. देश के इतिहास में पहली बार किसानों, फार्म मजदूरों, छोटे दुकानदारों और असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों के लिये 60 साल की उम्र के बाद 3 हज़ार रुपये की मासिक पेंशन की व्यवस्था की गई. मछुआरों को बैंक लोन के लिये एक अलग विभाग बनाया गया.
ये नीली अर्थव्यवस्था को बढ़ाएगा. इसी तरह व्यापारियों की समस्यों का समय पर समाधान करने के लिये व्यापारिक कल्याण बोर्ड का गठन किया गया. सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी 7 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को आर्थिक सहायता दी गई. हाल ही में सेल्फ हेल्प ग्रुप्स के लिये बिना गारंटी के लोन की रकम बढ़ाकर 10 लाख रुपये से 20 लाख रूपये कर दी गई. आदिवासी बच्चों की शिक्षा के लिये 400 नए एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल स्कूलों के निर्माण की शुरूआत की गई.
लोगों की मदद के लिये कई कानून पिछले साल लाए गए. हमारी संसद ने कामकाज के मामले में दशकों पुराने रिकॉर्ड तोड़े. इसका नतीजा ये रहा कि चाहे वो कनज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट हो, चिट फंड लॉ हो या महिलाओं को ज्यादा सुरक्षा देने वाले कानून हों , बच्चों और दिव्यांगों से जुड़े कानून हों, सभी को संसद से जल्द पास किया गया. ये सरकार की नीतियों और फैसलों का नतीजा है कि गांवों और शहरों की दूरी कम हो रही है. पहली बार गांव में रहने वाले भारतीय शहरों में रहने वाले भारतीयों से 10% ज्यादा इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं. राष्ट्र हित में लिये गये इस तरह के ऐतिहासिक फैसलों का जिक्र करने पर इस खत में फेहरिस्त लंबी हो जाएगी. लेकिन मैं ये कह सकता हूं कि इस साल के हर दिन मेरी सरकार ने फैसला लेना और उसे लागू करने में पूरी ताकत से काम किया है.’