लद्दाख, भारत-चीन की सरहद पर पिछले 45 साल में जो नहीं हुआ था, वह सोमवार रात हो गया। दोनों देशों के जवानों के बीच हिंसक झड़प में भारत के कमांडिंग ऑफिसर समेत 20 सैनिक शहीद हो गए।
यह तब हुआ, जब दोनों ओर से एक भी गोली नहीं चली। यह झड़प दुनिया की दो एटमी ताकतों के बीच लद्दाख में 14 हजार फीट ऊंची गालवन वैली में हुई। गालवन वैली वही इलाका है, जहां 1962 की जंग में 33 भारतीयों की जान गई थी।
बॉर्डर पर पिछले 41 दिन से तनाव था। इसे कम करने की कोशिशें भी हो रही थीं। इसी बीच, 15 जून की शाम से तनाव बढ़ गया। भारतीय सेना बातचीत करने गई थी, लेकिन चीन की सेना ने अचानक हमला कर दिया।
इस झड़प में भारत ने कर्नल रैंक के कमांडिंग ऑफिसर और 19 जवानों को खो दिया। 3 के नाम सेना ने आधिकारिक तौर पर बताए हैं। इनमें 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू, हवलदार पालानी और सिपाही कुंदन झा शामिल हैं। बाकी नामों की जानकारी अभी सामने नहीं आई है। चीन की तरफ से भी 3 से 5 सैनिकों के मारे जाने और 11 जवानों के घायल होने की खबर है, लेकिन उसने यह कबूला नहीं।