नई दिल्ली, भारत के साथ लद्दाख सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति के बीच चीन ने भारत को खास सलाह दी है। चीन का कहना है कि दुश्मन बनाने से अच्छा है दोस्त बनाना ?
वैसे चीन का सरकारी मीडिया भारत को ही दोषी बनाने पर आमादा है। सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने भारत को लेकर तंज कसा है। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा- प्रधानमंत्री के रूप में मोदी के बयान ने चीन पर आरोप लगाने का नैतिक आधार ही खत्म कर दिया। यह बयान तनाव कम करने में बहुत मददगार होगा।
दरअसल पीएम मोदी ने सर्वदलीय बैठक में बयान दिया था कि न तो कोई हमारी सीमा में घुसा और न ही किसी ने हमारी पोस्ट पर कब्जा किया। ग्लोबल टाइम्स ने पीएम मोदी के इसी बयान के आधार पर ये बात कही है।
शंघाई स्थित फुडन विश्वविद्यालय के दक्षिण एशियाई अध्ययन केंद्र के प्रोफेसर लिन मिनवांग ने रविवार को ग्लोबल टाइम्स से कहा कि पीएम मोदी के बयान से सीमा पर तनाव को कम करने में बड़ी मदद मिलेगी क्योंकि पीएम के तौर पर उन्होंने चीन पर निशाना साधने वाले कट्टरपंथियों को दरकिनार कर दिया है। भारत के अंदर राष्ट्रवाद की भावना तेजी से बढ़ी है और चीन के खिलाफ तेजी से विरोध बढ़ा है। भारत को घर में उठ रहे राष्ट्रवाद को शांत करना चाहिए।
लेकिन 40 चीनी सैनिकों के मारे जाने के बारे में ग्लोबल टाइम्स ने अलग बात कही है । उसने कहा कि मोदी सरकार अपनी जनता को संतुष्ट के लिए ऐसा बोल रही है। चीन भी नहीं चाहता कि यह संघर्ष और बढ़े, इस वजह से चीन अपनी तरफ से हताहत हुए सैनिकों की संख्या नहीं बता रहा है। चीन के मरने वाले सैनिकों की संख्या 20 से कम है। अगर हम संख्या बताएंगे तो भारत फिर से दबाव में आ जाएगा।
भारत सरकार की ओर से सेना को किसी भी तरह की कार्रवाई की छूट मिलने पर चीन का कहना है कि मोदी अपने देश के राष्ट्रवादियों और कट्टरपंथियों को संतुष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं। मोदी अपने देश की जनता को खुश करने के लिए शब्दों के साथ खेल रहे हैं।
ग्लोबल टाइम्स ने गीदड़ भभकी देते हुये लिखा कि वास्तव में वह अपनी सेना को एक और संघर्ष की इजाजत नहीं दे सकते। चीन की क्षमता भारत से न केवल सैन्य मामलों में बेहतर है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चीन का प्रभाव ज्यादा है।
ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, ऐसे मौके पर भारत में राष्ट्रवाद भड़कना आम बात है। हमें चिंता करने की जरूरत नहीं है। पाकिस्तान और दूसरे पड़ोसियों का मामला होता तो दबाव में भारत कुछ कदम उठाता, लेकिन जब चीन की बात आती है तो सब बदल जाता है।
ग्लोबल टाइम्स ने भारतीय अर्थशास्त्री स्वामिनाथन अय्यर का बयान भी छापा कि चीन सैन्य और आर्थिक क्षेत्र में भारत से पांच गुना ज्यादा है। उसने लिखा- अगर फिर से संघर्ष होता है तो भारत को 1962 की तुलना में पांच गुना ज्यादा अपमानित होना पड़ेगा।
ग्लोबल टाइम्स ने भारतीय सेना की क्षमता पर सवाल उटाते हुये लिखा कि भारत के सुरक्षाबल दूसरे देशों से खरीदे गए हथियारों का इस्तेमाल करते हैं। इस वजह से वे एक-दूसरे के साथ कॉर्डिनेट नहीं कर पाते। उनके सैनिक अनुशासन हीन हैं। वे अपनी ही पनडुब्बी और हेलिकॉप्टर उड़ा देते हैं।
संघर्ष हुआ तो चीन अपने क्षेत्र को आसानी से बचा लेगा और जीतने के बाद भी भारतीय इलाके पर दावा नहीं करेगा, लेकिन यह लड़ाई भारत को बहुत प्रभावित करेगी। भारत की वैश्विक स्थिति और अर्थव्यवस्था दशकों पीछे चली जाएगी।
वहीं ग्लोबल टाइम्स ने चीन को एक विशाल पड़ोसी बताया है जिस पर भारत अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए निर्भर करता है। खुद चीनी सरकार का प्रॉपगैंडा चलाने वाले अखबार ने यहां तक कहा है कि नई दिल्ली को दुश्मन बनाने की जगह दोस्त बनाने चाहिए और राष्ट्रवाद जगाने और चीन के खिलाफ नफरत भरने के लिए भारत में और बाहर इस घटना का नेताओं को इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि सिर्फ सीमाओं पर शांति के जरिए ही दोनों तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच मजबूत व्यापार और आर्थिक संबंध स्थापित हो सकते हैं जिनसे दोनों देशों के लोगों को फायदा होगा। दोनों देशों को अपनी शक्ति में हरसंभव प्रयास करना चाहिए कि सीमा पर हालिया घटना जैसा कुछ न हो जिससे द्विपक्षीय संबंध खराब न हों।
ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया है कि जब से घटना हुई है चीनी मीडिया तो बहुत संवेदनशीलता पेश आ रहा है लेकिन भारत के टीवी ऐंकर और अखबारों के संपादकीय सीमा पर विवाद को बढ़ाना चाहते हैं और मांग कर रहे हैं कि चीन को करारा जवाब दिया जाए। अखबार ने आरोप लगाया है कि भारत में राष्ट्रवाद का बुखार लगाया जा रहा है।
ग्लोबल टाइम्स के अनुसार भारत के 30 स्टार्टअप में से 18 में चीनी निवेश है। भारतीयों की रोजमर्रा की जरूरतों में टीवी, माइक्रोवेव, एसी से लेकर मोबाइल फोन और लैपटॉप तक लेकर चीन में बनते हैं। भारत के लिए अच्छी क्वॉलिटी के इन सस्ते सामान को रिप्लेस करना मुश्किल होगा।
ग्लोबल टाइम्स का कहना है कि चीन और पाकिस्तान के साथ भारत की सबसे लंबी सीमा जुड़ी है। इसलिए इन दोनों के साथ उसे तनाव नहीं बढ़ाना चाहिए। उसने हिदायत दी है कि भारत को अपने यहां विकराल होते कोरोना वायरस के इन्फेक्शन को फैलने से रोकना चाहिए, न कि शत्रुतापूर्ण राजनीतिक कदम उठाने चाहिए। नई दिल्ली को तर्कपूर्ण तरीके से काम करना चाहिए क्योंकि दुश्मन बनाने से अच्छा है दोस्त बनाना।