लोक निर्माण विभाग में प्रतिभाओं की कमी नहीं, उपयोग किये जाने की जरूरत : केशव मौर्य

लाेनिवि में प्रतिभाओं की कमी नहीं : मौर्य

लखनऊ, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि लोक निर्माण विभाग में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है और इसका भरपूर उपयोग किये जाने की जरूरत है।

श्री मौर्य ने मंगलवार को नये सहायक अभियंताओं से सीधी बातचीत करते हुये कहा कि वह देश व प्रदेश की ही नहीं, विश्व की सबसे अच्छी सड़कें बनाने का संकल्प लें। विभाग में प्रतिभा, हुनर और अनुभव की कोई कमी नहीं है,विभाग में पूल आफ टैलेन्ट है, इसका हमें भरपूर उपयोग करना है। युवा इंजिनीयरों को मोटीवेट करते हुये उनकी उपयोगिता को सार्थक व सफल बनाना है।

उन्होेने इंजीनियरों से कहा कि वह लोक निर्माण विभाग का भविष्य हैं। देश के विकास में इंजिनीयरों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। वह अपने कार्यों से विभाग की छवि तो बनायें ही साथ ही, ऐसी सड़कों का निर्माण करें, जो देश ही नहीं दुनिया के लिये रोल माॅडल बनें।

श्री मौर्य ने कहा परियोजनाएं बनाते समय दीर्घकालीन सोच रखी जाय और ऐसी सड़कें बनें कि आने वाली पीढ़ीयों के लिये भी बहुपयोगी सिद्ध हों। उपमुख्यमंत्री ने सभी युवा इंजिनीयरों से कहा कि वह अपने अन्य संस्थानों से लिये गये अनुभवों को साझा करते हुये सभी लोग ऐसे तीन सुझाव दें, जिससे सड़कें मजबूत बनें और उनकी लागत कम हो तथा कार्यों में पूरी पारदर्शिता रहे, कहीं भी धन की बर्बादी न हो, कार्य की गुणवत्ता बरकरार रहे।

उन्होने कहा कि किसी के भी दबाव में कोई गलत कार्य नहीं करना है तथा मानकों का शत प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित करना है। उन्होने कहा ऐसी योजनाएं बनायी जांये जिससे सड़कों व भवनों आदि के निर्माण कार्य निर्धारित समय-सीमा के ही अन्दर पूर्ण हों।

भारत रत्न विश्वेश्वरैया का उदाहरण देते हुये उन्होने कहा कि अभियन्ता उनके गौरव और गरिमा के अनुरूप कार्य करके भारत रत्न प्राप्त करने का प्रयास करें। श्री मौर्य ने हर्बल रोड, प्लास्टिक रोड, डाॅ एपीजे अब्दुल कलाम गौरव पथ, मेजर ध्यानचन्द मार्ग आदि की चर्चा करते हुये अन्य योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी।

उन्होने कहा “ हम सबका सामाजिक दायित्व है कि हम देश व समाज के निर्माण में अपना योगदान दें और संकट की घड़ी में भी लोगों के साथ खड़ें हों और कोरोना संकट की घड़ी में लोक निर्माण विभाग ने लोगों की सेवा के अनुकरणीय व उल्लेखनीय कार्य किये हैं।

श्री मौर्य ने कहा कि नवीन तकनीक के उपयोग से लागत और सामग्री की खपत में 20 से 25 प्रतिशत तक की कमी आती है। नयी तकनीक का प्रयोग करके विभाग द्वारा वर्ष 2018-19 में लगभग 942 करोड़ एवं वर्ष 2019-20 में लगभग 1246 करोड़ रूपये की बचत की गयी, साथ ही कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आयी।

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में वेस्ट प्लास्टिक से मार्गों के नवीनीकरण एवं निर्माण के कार्य भी सफलतापूर्वक कराये गये हैं। उन्होने प्लास्टिक रोडों के निर्माण पर विशेष रूप से फोकस करने के निर्देश दिये, कहा कि इससे जहां लागत में कमी आयेगी, वहीं सड़कें भी मजबूत बनेंगी और पर्यावरण प्रदूषण कम होगा तथा वेस्ट प्लास्टिक का उपयोग भी हो सकेगा। उन्होने इंजिनीयरों को निर्देश दिये कि वह ऐसी तकनीक विकसित करने का प्रयास करें कि बारिश के दिनों में भी सड़कें पूरी गति के साथ बनायी जा सकें।

Related Articles

Back to top button