नयी दिल्ली, जम्मू-कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों और अनुच्छेद 35ए को समाप्त किये जाने के बाद वहां उच्च न्यायालय में 600 से अधिक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाएं दायर की गयी हैं, लेकिन उनमें से एक प्रतिशत का भी निपटारा नहीं हो सका है।
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) शरद अरविंद बोबडे को पत्र लिखकर इसकी शिकायत की है। एसोसिएशन ने लिखा है कि पिछले वर्ष पांच अगस्त को अनुच्छेद-370 और 35ए समाप्त किये जाने के बाद से 600 से अधिक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाएं दायर की गयी हैं, लेकिन 10 माह सेे अधिक बीत जाने के बाद भी अभी तक छह मामलों (एक प्रतिशत भी) का निपटारा भी नहीं हो सका है।
एसोसिएशन के उपाध्यक्ष एजाज बेदर, महासचिव अशरफ भट, संयुक्त सचिव आदिल असीमी और कोषाध्यक्ष बिलाल अहमद वानी द्वारा हस्ताक्षरित पत्र में कहा गया है कि अगस्त/सितम्बर 2019 में दायर याचिकाओं पर ही जब सुनवाई नहीं हो सकी है तो बाद की याचिकाओं को कौन पूछता है, जबकि उच्च न्यायालयों के नियमानुसार, 14 दिनों के भीतर इन याचिकाओं का निपटारा किया जाना है। गौरतलब है कि एसोसिएशन के अध्यक्ष मियां अब्दुल कयूम सार्वजनिक सुरक्षा कानून के तहत तिहाड़ जेल में बंद हैं।
पत्र में यह भी आरोप लगाया गया है कि एसोसिएशन की कार्यकारिणी समिति ने उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल के समक्ष अपनी शिकायत रखी है, लेकिन वहां से भी कोई समाधान नहीं मिल सका है।