जिनेवा, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि मोटापे के शिकार और धूम्रपान करने वालों को कोविड-19 से ज्यादा खतरा है।
डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामिनाथन ने कोविड-19 पर वैश्विक अनुसंधान एवं नवाचार फोरम की बैठक के बाद गुरुवार को एक प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि युवाओं में मोटापा सहित कुछ खास तरह की बीमारी वाले लोगों को कोरोना से अधिक खतरा है।
उन्होंने कहा “हमें यह याद रखना चाहिये कि युवा भी गंभीर रूप से बीमार पड़ सकते हैं या उनकी मौत भी हो सकती है। बुजुर्गों की तुलना में वे कम गंभीर रूप से बीमार पड़ते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे यह सोच लेें कि युवा संक्रमित भी हुये तो कोई फर्क नहीं पड़ता। …खासकर मोटापे के शिकार लोग, धूम्रपान करने वालों के गंभीर रूप से बीमार पड़ने या मौत का खतरा अधिक होता है।”
फोरम की दो दिन चली बैठक में यह भी सामने आया कि जितनी संख्या में संक्रमण की पुष्टि हुई है वास्तव में संक्रमित लोगों की संख्या उससे 10 गुणा हो सकती है। मृत्यु दर के संबंध में पूछे गये एक प्रश्न के उत्तर में श्रीमती स्वामीनाथन ने कहा कि जिन जगहों पर सिरोलॉजी जाँच किये गये हैं वहाँ लोगों के शरीर में कोरोना के एंटीबॉडी की मौजूदगी से पता चलता है कि आम तौर पर संक्रमितों की संख्या 10 गुणा है। इसे देखते हुये संक्रमितों की मृत्यु दर 0.6 फीसदी रह जाती है।
उन्होंने कहा “संक्रमितों की मृत्यु दर बेहद कम है और (फोरम की बैठक में) इसे औसतन 0.6 प्रतिशत बताया गया। पुष्ट मामलों के अनुपात में जो पाँच, छह या सात प्रतिशत की मृत्यु दर बताई जा रही है उसकी तुलना में यह काफी कम है।” उन्होंने कहा कि समुदाय में कितने लोग संक्रमित हैं इसके बारे में हमें पता नहीं चलता। हमें बस उन्हीं लोगों के आँकड़े मालूम होते हैं जिनकी जाँच होती है। ये वे लोग हैं बीमारी पड़ते हैं या जो जाँच करावाने में सक्षम हैं।
डॉ. स्वामीनाथन ने कहा कि मृत्यु दर की गणना करते समय यह ध्यान रखना चाहिये कि अक्सर संक्रमण के दो या तीन सप्ताह बाद लोगों की मौत होती है। इसलिए मरने वालों की वर्तमान संख्या को दो सप्ताह पहले पुष्ट मामलों की संख्या से विभाजित कर मृत्यु दर निकालनी चाहिये न कि वर्तमान संख्या से।