केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने कक्षा 9वीं से 12वीं तक का सिलेबस 30% तक काट दिया है। पाठ्यक्रम में कटौती के बाद अब धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रवाद जैसे कई महत्वपूर्ण अध्यायों को मौजूदा शैक्षणिक वर्ष के लिए पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है। शिक्षा संस्थानों से जुड़े और इन विषयों के कई जानकारों और विशेषज्ञों ने बोर्ड के इस कदम का विरोध किया है।
बोर्ड ने कक्षा नौ से 12वीं तक के इकोनॉमिक्स और पॉलिटिकल साइंस विषयों को रिवाइज़ किया है, जिसमें कक्षा 11वीं के पॉलिटिकल साइंस के सिलेबस से संघवाद, नागरिकता, राष्ट्रवाद और निरपेक्षवाद जैसे अध्यायों को ‘पूरी तरह हटा’ दिया गया है।
सीबीएसई ने कक्षा 9 की किताब से लोकतांत्रिक अधिकार , धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रवाद जैसे कई अध्यायों को मौजूदा शैक्षणिक वर्ष के लिए पाठ्यक्रम से हटा दिया है। इस कटौती का असर 11वीं कक्षा में पढ़ाए जाने वाले संघीय ढांचा, राज्य सरकार, नागरिकता, राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता जैसे अध्याय पर दिखेगा।
वहीं 11वीं कक्षा की किताबों से किसान, जमींदार और राज्य, बंटवारे, विभाजन और देश में विद्रोह पर सेक्शन- ‘द बॉम्बे डेक्कन’ और ‘द डेक्कन रायट्स कमिशन’, जो कि साहूकारों के खिलाफ किसानों के आंदोलन पर आधारित हैं, इन सभी चैप्टरों को हटा दिया गया है।
कार्यस्थल पर भारतीय संविधान के तहत आने वाले फेडरलिज्म जैसे टॉपिक, स्थानीय सरकारों की जरूरत, भारत में स्थानीय सरकार की ग्रोथ जैसे चैप्टर्स को भी 11वीं कक्षा के राजनीति विज्ञान के विषय से हटा दिया गया है।
पाठ्यक्रम में की गई कटौती से 12वीं कक्षा के छात्रों को अब इस मौजूदा वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था का बदलता स्वरूप, नीति आयोग, जीएसटी जैसे विषय नहीं पढ़ाए जाएंगे। घटाया गया पाठ्यक्रम बोर्ड परीक्षाओं और आतंरिक मूल्यांकन के लिए निर्धारित विषयों का हिस्सा नहीं होगा।
सीबीएसई ने इन सभी अध्यायों को मौजूदा एक वर्ष के लिए सिलेबस से हटा दिया है। दरअसल, कोरोना महामारी के कारण इस वर्ष स्कूलों के कार्य दिवस काफी कम हो गए हैं। अगस्त माह तक स्कूल खुलने की संभावना बेहद कम है।
मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने एक ट्वीट कर बताया, “लर्निंग अचीवमेंट की जरूरत को ध्यान में रखते हुए सिलेबस को 30 फीसदी कम करने का फैसला लिया गया है.” उन्होंने कहा कि कोर कॉन्सेप्टस को इस सिलेबस में रखा गया है।