नयी दिल्ली, सौर ऊर्जा के इतिहास में भारत ने निर्णायक उपलब्धि हासिल की है। दुनिया में यह पहला मौका है जब सौर ऊर्जा का इस्तेमाल ट्रेन चलाने के लिए किया जा रहा है।
सौर ऊर्जा ट्रेन चलाने के लिए मध्य प्रदेश के बीना में लगाये गये संयंत्र में बिजली उत्पादन शुरू हो गया है। दुनिया में यह पहला मौका है जब सौर ऊर्जा का इस्तेमाल ट्रेन चलाने के लिए किया जा रहा है। बीना में रेलवे की खाली पड़ी जमीन पर 1.7 मेगावाट का संयंत्र लगाया गया है जिसे 25 केवी के ओवरहेड लाइन से जोड़ा गया है। भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) और भारतीय रेलवे द्वारा संयुक्त रूप से यह संयंत्र लगाया गया है।
ट्रेन चलाने के लिए एसी धारा का इस्तेमाल होता है जबकि सौर संयंत्र में डीसी धारा वाली बिजली का उत्पादन होता है। डीसी धारा को एक फेज वाली एसी धारा में बदलने के लिए विशेष तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इसके बाद इससे सीधे ओवरहेड लाइन को आपूर्ति की जा सकेगी। इस संयंत्र की सालाना उत्पादन क्षमता 25 लाख यूनिट है जिससे रेलवे को 1.37 करोड़ रुपये की बचत होगी।
भेल ने आज बताया कि यह सौर ऊर्जा के इतिहास में निर्णायक उपलब्धि है। भेल ने परियोजना में संयंत्र की डिजाइनिंग, इंजीनियरिंग, उससे जुड़े विनिर्माण, आपूर्ति, निर्माण, परीक्षण और उत्पादन शुरू करने की जिम्मेदारी निभाई है। कोविड-19 के कारण हुये समय के नुकसान को छोड़ दिया जाये तो भूमि सर्वेक्षण के बाद साढ़े चार महीने के भीतर परियोजना में बिजली उत्पादन शुरू कर दिया गया है।