नयी दिल्ली, उत्तर प्रदेश में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के दोषी कुख्यात अपराधी विकास दुबे की मुठभेड़ में शुक्रवार सुबह हुई मौत से चंद घंटे पहले इलेक्ट्रॉनिक तरीके से उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर करके विकास की जान की हिफाजत और उसके अन्य साथियों की पिछले दिनों हुई मुठभेड़ में मौत की केंद्रीय जांच ब्यूरो से जांच कराने की मांग की गयी थी।
मुंबई के वकील घनश्याम उपाध्याय ने कल उज्जेैन में विकास दुबे की गिरफ्तारी के बाद शुक्रवार तड़के दो बजे इलेक्ट्रॉनिक तरीके से याचिका दायर की थी और उन्होंने मीडियाकर्मियों के लिए जारी वीडियो फुटेज में आज सुबह अदालत खुलने के बाद त्वरित सुनवाई के लिए मामले का विशेष उल्लेख करने की बात कही थी, लेकिन उससे पहले ही विकास दुबे मुठभेड़ में मारा गया।
याचिकाकर्ता ने उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस को उसकी जान की हिफाजत करने के निर्देश देने की मांग की थी, साथ ही यह सुनिश्चित करने की भी मांग की गई थी कि वह पुलिस के हाथों न मारा जाये। याचिका में यह मांग भी की गई थी कि पिछले सप्ताह आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में कथित तौर पर विकास दुबे के साथ शामिल रहे पांच सह-आरोपियों की मुठभेड़ में मारे जाने के सिलसिले में प्राथमिकी दर्ज की जाए और शीर्ष अदालत की निगरानी में सीबीआई से जांच कराई जाए।
श्री उपाध्याय ने बताया, “मैंने तड़के दो बजे इलेक्ट्रॉनिक तरीके से याचिका दाखिल की थी।” याचिका में विकास दुबे के घर, वाहनों और अन्य संपत्तियों को ढहाने और तोड़ने के संबंध में भी प्राथमिकी दर्ज करने का उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस को निर्देश देने की मांग की गई थी।