नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश के खिलाफ यौन-उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली पूर्व महिला जिला जज को फिर से बहाल करने पर विचार करने के लिए उच्च न्यायालय को मंगलवार को सलाह दी।
मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने उच्च न्यायालय और याचिकाकर्ता पूर्व जज को इस मसले पर आपस में बातचीत के लिए चार सप्ताह का समय भी दिया। न्यायमूर्ति बोबडे ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता रवीन्द्र श्रीवास्तव से पूछा कि हाईकोर्ट शीर्ष अदालत की सलाह न मानने पर क्यों अड़ा है? इस पर श्री श्रीवास्तव ने कहा कि इस मामले में शिकायतकर्ता ने स्वैच्छिक रूप से इस्तीफा दिया था, न कि उन्हें बर्खास्त किया गया था।
न्यायमूर्ति बोबडे ने तब कहा कि इस मामले को नयी नियुक्ति के तौर पर विचार किया जा सकता है, खासकर तब, जब याचिकाकर्ता ने बीच की अवधि का आर्थिक नुकसान उठाने को तैयार हैं। पीठ ने पूर्व जिला जज और हाईकोर्ट को चार सप्ताह का और समय है कि वे इस मसले पर किसी निर्णय पर पहुंच सकें।
गौरतलब है कि यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने के बाद तत्कालीन जिला जज का तबादला कर दिया गया था, इसके बाद उन्होंने 2014 में इस्तीफा दे दिया था। एक समिति ने महिला जज के स्थानांतरण को गैर-कानूनी करार दिया था। महिला जज ने उसी को आधार बनाकर फिर से नौकरी में रखने का अनुरोध किया है।