लखनऊ, 26 दिन बीत जाने के बाद भी कानपुर के संजीत यादव अपहरण कांड मे पुलिस की लगातार नाकामी से नाराज अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा अब एक्शन मोड पर आ गई है।
यादव महासभा के प्रदेश अध्यक्ष जगदेव सिंह यादव महासभा के पदाधिकारियों के साथ आज संजीत यादव के घर पहुंचे। प्रदेश अध्यक्ष ने संजीत यादव के पिता चमन सिंह यादव से मिलकर अभीतक की घटना की पूरी जानकारी ली और परिवार को आश्वस्त किया कि यादव महासभा हर स्थिति मे उनके साथ है।
संजीत यादव के पिता चमन सिंह यादव ने बताया कि संजीत का अपहरण होने के बाद उन्होने पुलिस वालों के कहने पर, अपने बेटे को छुड़ाने के लिये अपहरणकर्ताओं को 30 लाख रूपये दिये। लेकिन अपहरणकर्ताओं को पैसे दिलवाने के बाद भी पुलिस न तो संजीत यादव को छुड़ा पाई और ना ही अपहरणकर्ताओं को पकड़ पाई। चमन सिंह यादव ने बताया कि इस पूरी घटना मे तत्कालीन इंस्पेक्टर रंजीत राय की भूमिका अत्यंत संदिग्ध है।
संजीत यादव के परिवार से मिलने के बाद, महासभा के प्रदेश अध्यक्ष जगदेव सिंह यादव ने कहा कि कानपुर का संजीत यादव अपहरण कांड पुलिस की नाकामी और प्रशासन की असंवेदनशीलता की मिसाल है। पुलिस पहले तो अपराधियों को पकड़ने मे नाकाम रही, दूसरे उसने चमन सिंह यादव जैसे गरीब आदमी से अपहरणकर्ताओं को 30 लाख रूपये दिलवा दिये। बाद मे संजीत की बहन रूचि यादव पर दबाव बनाकर उससे झूठा बयान भी दिलवाया कि जो बैग अपहरणकर्ताओं को दिया गया उसमें 30 लाख रूपये नही बल्कि कागज थे। उसके बाद भी नतो संजीत मिला न पैसा मिला और अब तक अपराधियों का भी कोई सुराग नही है।
जगदेव सिंह यादव ने कहा कि ऐसी नकारा निकम्मी पुलिस पर सरकार तत्काल कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करें और संजीत को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से छुड़वा कर उनके परिवारीजनों को सुपुर्द कर फिरौती की रकम वापस करे अन्यथा उक्त मामले में यादव महासभा सड़क पर उतरेगी।
अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा के महासचिव अशोक यादव ने कहा कि यह घटना साधारण नही है। यह घटना दर्शाती है कि यादव समाज के साथ पूरे प्रदेश मे किस तरह का भेदभाव और उत्पीड़न हो रहा है।
इस मौके पर, प्रदेश अध्यक्ष जगदेव सिंह यादव के साथ महासभा के पदाधिकारियों मे प्रदेश महासचिव अशोक यादव, महेंद्र सिंह यादव, सूर्यपाल यादव, प्रदेश प्रवक्ता अनुराग यादव, प्रदेश सचिव रामकरन यादव, नगर अध्यक्ष कप्तान सिंह यादव व अमर यादव, कुलदीप यादव, रोहित सिंह, वीर सिंह आदि उपस्थित रहे।
ये है पूरी घटना और पुलिस की नाकामी की दास्तान-
कानपुर के बर्रा पांच की एलआइजी कॉलोनी निवासी चमन सिंह यादव के बेटे संजीत यादव का 22 जून को अपहरण हो गया था। संजीत यादव पैथालाजी मे लैब टेक्नीशियन है। एक हफ्ते बाद, 29 तारीख को अपहरणकर्ता का फोन आने के बाद बीती 13 जुलाई को परिवारवालों ने पुलिस के कहने पर 30 लाख रुपये की फिरौती भी दे दी, लेकिन अब तक संजीत का पता नहीं लगा है।
इस मामले में पुलिस पर तमाम आरोप लग रहे हैं। किडनैपर्स के बार-बार एक ही नम्बर से फोन करने के बाद भी उनका नम्बर अभी तक ट्रेस नहीं कर पाई है, ये पुलिसिया कार्यशैली पर बड़ा सवालिया निशान लगाता है।
परिजनों के मुताबिक, पहले पुलिस उनके बेटे को एक हफ्ते तक ढूंढ नहीं पाई, जब अपहरणकर्ता का फोन फिरौती के लिए आया तो पुलिस ने उन्हें फिरौती देने को कहा और बोली कि जिस टाइम फिरौती की रकम लेने बदमाश आएंगे उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। लेकिन बदमाश फिरौती की रकम लेकर आसानी से निकल गए और पुलिस उन्हें ढूंढती ही रह गई।
इसके बाद पुलिस ने पीड़ित परिवार पर अपना बयान बदलने के लिये दबाव बनाया। जिसके कारण संजीत की बहन रूचि यादव ने पिलिस के दबाव मे कहा कि जो बैग अपहरणकर्ता को दिया गया, उसमे पैसे नहीं थे, बल्कि कपड़े भरे थे। अब परिजनों का कहना है कि पुलिस ने कहा था कि अगर पैसे की बात करोगे तो तुम्हारे बेटे की जान को खतरा हो सकता है।
हांलाकि इस मामले में एसएसपी दिनेश कुमार पी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए बर्रा थानाध्यक्ष रणजीत राय को निलंबित कर दिया है। सर्विलांस सेल के प्रभारी हरमीत सिंह को नया प्रभारी बनाया है। लेकिन अपहरण के 26 दिन बाद भी नाकाम सर्विलांस सेल के प्रभारी को थाना प्रभारी बनाने पर भी पुलिस पर सवाल उठ रहें हैं।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा और सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के ट्वीट के बाद सियासी दबाव बढ़ने लगा है। सम्बल मिलने के बाद अपहृत युवक की बहन रूचि ने भी पुलिसिया दवाव मे दिया गया बयान बदल दिया है। अब अखिल भारतवर्षीय यादव महासभा के एक्शन मे आने के बाद, हताश निराश परिवार मे तेज कार्रवाई की आशा जगी है।