मास्को, पूर्वी लद्दाख में भारत एवं चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अभूतपूर्व सैन्य तनाव के बीच आज यहां विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच लंबी बैठक हुई।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार बैठक करीब तीन घंटे चली। बैठक के परिणाम के बारे में फिलहाल कोई जानकारी नहीं आयी है लेकिन समझा जाता है कि भारत ने बेलाग लपेट के सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता को दोनों देशों के संबंधों में प्रगति के लिए अनिवार्य बताते हुए चीन से अपनी सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अप्रैल से पूर्व की स्थित में लाने की मांग दोहरायी है।
इससे पहले विगत सप्ताह 04 सितंबर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगे के साथ बैठक करके उनसे दो टूक शब्दों में वास्तविक नियंत्रण रेखा से चीनी सेना को पीछे हटाने को कहा था लेकिन चीनी सेना सैन्य एवं कूटनीतिक स्तर की बैठकाें में उच्चाधिकारियों द्वारा दिये गये आश्वासनों पर अमल करने की बजाय उलटा अधिक आक्रामक रुख दिखा रही है। चीनी सेना द्वारा सीमा पर भारतीय सैनिकों का डराने के लिए गोलियां चलाने का भी आरोप है।
इस बैठक से पहले रूस, भारत एवं चीन के त्रिपक्षीय प्लेटफॉर्म -आरआईसी के अंतर्गत इन देशों के विदेश मंत्रियों के मध्य एक महत्वपूर्ण बैठक हुई जिसमें डॉ. जयशंकर के अलावा रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और चीन के विदेश मंत्री वांग यी शामिल हुए। विदेश मंत्री ने यहां ट्वीट करके जानकारी दी। उन्होंने भारत के आरआईसी की अध्यक्षता संभालने की भी जानकारी दी।
भारत एवं चीन की मंत्रिस्तरीय यह बैठक बीते चार माह से अधिक समय से पूर्वी लद्दाख में जारी तनाव के बीच भारत एवं चीन के विदेश मंत्रियों के बीच यह राजनीतिक स्तर का पहला संपर्क था। इससे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल एवं चीनी स्टेट काउंसलर एवं विदेश मंत्री वांग यी के बीच एक माह पहले वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बात हुई थी पर तनाव घटाने के लिए सहमति कायम होने के बावजूद ऐसा नहीं हो सका था।