लखनऊ, हाथरस गैंगरेप की पीड़िता की मौत के बाद पुलिस ने भारी विरोध के बावजूद परिजनों की गैर मौजूदगी में गैंगरेप पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया।
दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में हाथरस गैंगरेप की पीड़िता की मौत के बाद मंगलवार देर रात करीब 12:45पर पुलिस युवती का शव लेकर यूपी के हाथरस के बुलगाड़ी गांव पहुंची। पुलिस ने पीड़िता के शव को उसके घर पर भी ले जाने की इजाजत नही दी।
एंबुलेंस को जब अंतिम संस्कार के लिए ले जाया रहा था तो परिजनों ने उसे रोक दिया और एंबुलेंस के आगे लेटकर आक्रोश जताया। जिससे पुलिस और ग्रामीणों में झड़प हो गई। पीड़िता के परिजन रात में अंतिम संस्कार के लिए राजी नहीं थे, उनका कहना था कि हिंदू रीतिरिवाज के अनुसार सुबह अंतिम संस्कार किया जाये लेकिन पुलिस ने भारी विरोध के बावजूद आधी रात के बाद करीब 2:40 बजे बिना किसी रीति रिवाज के और परिजनों की गैरमौजूदगी में पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया ।
मृतक के पिता और भाई पुलिस एक्शन के खिलाफ विरोध में धरने पर बैठ गए। इसके बाद पुलिस के अफसर उन्हें काली स्कॉर्पियो में बिठाकर कहीं और ले चले गए। इस घटना के बाद इलाके में भारी आक्रोश फैल गया। भारी आक्रोश को देखते हुए क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पुलिसबल की तैनाती कर दी गई है।
गैंगरेप पीड़िता के चाचा के अनुसार पुलिस लगातार दबाव बना रही थी कि शव का अंतिम संस्कार कर दें, जबकि बेटी के मां-बाप और भाई कोई भी यहां मौजूद नहीं थे क्योंकि वह दिल्ली में थे। रात में अंतिम संस्कार न करने और परिवार का इंतजार करने की बात कहने पर पुलिस ने कहा कि अगर नहीं करोगे तो हम खुद कर देंगे।
पीड़िता के परिवार ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने शुरूआत में उनकी मदद नहीं की और मामले पर गुस्सा जताने के बाद कार्रवाई की है। दलित युवती के साथ हैवानियत और पुलिस ज्यादती पर सियासत गरमा गई है। सोशल मीडिया पर लोगों का आक्रोश झलक रहा है। दिल्ली के जिस सफदरजंग अस्पताल में पीड़िता ने आखिरी सांस ली, उसके बाहर प्रदर्शन हुआ, कैंडल मार्च निकला। यूपी में सीएम योगी के इस्तीफे की मांग और राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग हो रही है।